बलिदानियों का अपमान

ऋचा ने यह ट्वीट कर वह सब जाहिर कर दिया, जो अब तक उनके मन में छुपा था

देशवासी अपने बलिदानियों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे

बॉलीवुड अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने गलवान के बलिदानियों पर जो ट्वीट किया, वह अत्यंत आपत्तिजनक एवं निंदनीय है। लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी के एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए ऋचा ने 'गलवान सेज़ हाय' (गलवान कहता है — नमस्ते) लिखा है, जिससे प्रतीत होता है कि उन्हें गलवान में हमारे वीर जवानों के साथ जो कुछ हुआ, उसकी बहुत खुशी है। आज देश में खुद को उदार, बुद्धिजीवी, मानवतावादी और विश्व-मानव दिखाने के लिए देशप्रेम के प्रतीकों पर चोट करने का फैशन चल पड़ा है। 

ऋचा ने यह ट्वीट कर वह सब जाहिर कर दिया, जो अब तक उनके मन में छुपा था। भारतीय सेना तो यह कह रही थी कि हमारे पास संसद का प्रस्ताव है, जिस दिन सरकार आदेश देगी, पीओके वापस लेने के लिए कार्रवाई की जाएगी; उधर ऋचा चड्ढा जैसे 'बुद्धिजीवियों' को इसमें हास्य नज़र आता है। यही नहीं, वे गलवान के घावों पर नमक छिड़कती हैं। 

क्या ऋचा को यह भी नहीं मालूम कि गलवान में हमारे सैनिकों ने चीन के कितने जवानों को ढेर किया था? वे कई गुना तादाद में आए चीनियों को मारते-मारते वीरगति को प्राप्त हुए थे। क्या उनकी चीनियों से कोई निजी दुश्मनी थी? नहीं, उन्होंने अपने प्राणों की आहुति इसलिए दी, ताकि भारतवासी सुकून से रहें और चैन की नींद सोएं, जिनमें ऋचा चड्ढा और वे कथित 'बुद्धिजीवी' भी शामिल हैं, जो सेना और सशस्त्र बलों की छवि धूमिल करने और वीरता का मज़ाक उड़ाने से बाज़ नहीं आते। जब ऐसे ट्वीट उन वीरों के परिजन पढ़ते होंगे तो उन पर क्या गुजरती होगी?

जब सेना ने 2016 में पीओके में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को सफलतापूर्वक अंजाम दिया तो देश में रातोंरात एक ऐसा वर्ग उठ खड़ा हुआ, जिसके शब्दों से प्रतीत होता था कि हमारे सैनिकों ने गोलियां कहीं और चलाईं, लेकिन उसकी पीड़ा कहीं और हो रही है! वे इस बात के सबूत मांग रहे थे कि सच में सर्जिकल स्ट्राइक हुई है या नहीं! 

कुछ 'बुद्धिजीवी' तो समय की गणना कर दावा कर रहे थे कि नियंत्रण रेखा पार कर जाना, कार्रवाई करना और सुरक्षित लौट आना संभव ही नहीं है। उनके शब्द यह साबित कर रहे थे कि सर्जिकल स्ट्राइक बहुत मामूली-सी बात है, जिसकी तारीफ करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर तारीफ करनी है तो इन 'बुद्धिजीवियों' की की जाए, जो अपनी 'प्रतिभा' का पूरा उपयोग अपने ही देश और उसके बलिदानियों को झूठा साबित करने में लगा रहे हैं। 

जब पुलवामा हमला हुआ तो एक चर्चित समाचार चैनल की पत्रकार ने ट्वीट किया था - 'हाउज़ द जैश'। बाद में चैनल ने लोकदिखावे के लिए पल्ला झाड़ लिया, लेकिन ऐसे ट्वीट/बयान अनायास नहीं आ रहे हैं। ये तत्त्व वही उगल रहे हैं, जो अब तक मन में छुपाए बैठे थे। 

न भूलें कि जब पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत दर्जनभर जवानों के साथ हेलिकॉप्टर हादसे में वीरगति को प्राप्त हुए तो कुछ लोग सोशल मीडिया पर खुशी मना रहे थे। वे उन लम्हों में अपने मन की बात मन में दबाकर नहीं रख सके, इसलिए बेनकाब हो गए। निश्चित रूप से ऐसे तत्त्व शत्रु देशों का काम आसान कर रहे हैं। इनके खिलाफ कठोर कार्रवाई कर नज़ीर पेश करनी चाहिए। देशवासी अपने बलिदानियों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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