वरदान बनता यूपीआई

आज हम गर्व से कह सकते हैं कि दुनिया में कई देश जितना डिजिटल भुगतान हफ्तों या महीनों में करते हैं, उतना तो भारत की जनता एक दिन में कर देती है


देश में यूपीआई लेनदेन के नित-नए रिकॉर्ड बनना आनंद का विषय है। अक्टूबर में 12.11 लाख करोड़ रुपए से अधिक मूल्य का भुगतान इस माध्यम से किया जाना बताता है कि अब डिजिटल भुगतान आम आदमी को खासा पसंद आ रहा है। लेनदेन की संख्या भी 7.7 प्रतिशत बढ़कर 730 करोड़ पर पहुंच गई, जिसमें और वृद्धि की भरपूर संभावनाएं हैं। सोशल मीडिया इस उपलब्धि से भरा हुआ है। 

अमेरिका, यूरोप और चीन, जो भारतीयों की तकनीकी क्षमता एवं कौशल पर हमेशा ही संदेह किया करते थे, के विशेषज्ञ भी यह विशाल आंकड़ा देखकर चकित हैं। भारत में पांच साल पहले डिजिटल भुगतान का दायरा बहुत सीमित था, जिसमें जटिलताएं भी बहुत ज्यादा थीं। इस अवधि में इंटरनेट तक लोगों की पहुंच आसान हुई, बैंक खाते खोलने में तेजी आई। 

आज हम गर्व से कह सकते हैं कि दुनिया में कई देश जितना डिजिटल भुगतान हफ्तों या महीनों में करते हैं, उतना तो भारत की जनता एक दिन में कर देती है। यह ध्यान रखना चाहिए कि आज भी देश में ऐसे लोगों की बहुत बड़ी संख्या है, जो इंटरनेट और बैंकिंग सुविधाओं से नहीं जुड़े हैं। भविष्य में जब वे इस तंत्र का हिस्सा बनेंगे तो भारत डिजिटल भुगतान का नया कीर्तिमान रचेगा। आज महानगरों के शॉपिंग मॉल से लेकर गांव के ठेले तक डिजिटल भुगतान हो रहा है। 

कई लोगों को नकद लेनदेन किए महीनों हो गए। कोड स्कैन कर भुगतान करना उनकी रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है। पहले बिजली, पानी आदि के बिल जमा कराने के लिए लंबी कतारें लगती थीं, जो अब समाप्ति की ओर हैं। 

निश्चित रूप से इसका लाभ देश की जनता को मिल रहा है। साथ ही सरकार के लिए आसानी हो गई है। इससे अर्थव्यवस्था में तुलनात्मक रूप से अधिक पारदर्शिता आ गई है। भविष्य में जब डिजिटल भुगतान और बढ़ जाएगा तो नोटों की छपाई का खर्च कम हो जाएगा। इससे नकली नोटों के प्रसार से निपटने में आसानी होगी।

देश में 5जी सेवा का आगाज हो चुका है। जब यह गांव-ढाणियों तक पहुंचेगी तो डिजिटल भुगतान सेवाएं और बेहतर हो जाएंगी। लेकिन हमें इसका दूसरा पहलू भी देखना चाहिए। निस्संदेह डिजिटल भुगतान ने जनता को अनेक सुविधाएं दी हैं। इन सबके बावजूद तकनीक का यह वरदान कुछ अपराधियों के हाथों में जाकर मुश्किलें खड़ी कर रहा है। देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़े हैं। 

शायद ही कोई दिन होगा, जब ये ऑनलाइन लुटेरे किसी के खाते में सेंध न लगाते हों। कभी लॉटरी तो कभी बिजली बिल के नाम पर ये ठग ईमानदारी से मेहनत करने के बजाय लोगों के खून-पसीने की कमाई चुटकियों में उड़ा रहे हैं। आम आदमी पुलिस थानों के चक्कर लगाकर परेशान हो जाता है। ऐसे में वह करे तो क्या करे? सरकार को इस ओर तुरंत ध्यान देना होगा। उसे ऐसी तकनीक विकसित करनी चाहिए कि डिजिटल भुगतान में धोखाधड़ी का जोखिम न्यूनतम हो। ऑनलाइन ठगों पर कठोरता से शिकंजा कसते हुए उनके लिए ऐसी सजा का प्रावधान करे, जो दूसरों के लिए नजीर बने। नागरिकों के खाते में एक-एक रुपया सुरक्षित रहे, इसकी गारंटी मिलनी चाहिए। 

निस्संदेह डिजिटल भुगतान सरल हो, लेकिन सरल होना ही काफी नहीं है। इसका पर्याप्त सुरक्षित होना सरल होने से कहीं ज्यादा जरूरी है। अगर ऑनलाइन ठगी के मामले इसी तरह बढ़ते रहे तो इससे लोग हतोत्साहित होंगे। इस माध्यम में सुरक्षा के मानक उच्च स्तरीय होने चाहिएं। वे सरल जरूर हों, लेकिन पूरी तरह सुरक्षित भी हों, ताकि जनता इस पर और अधिक भरोसा कर सके।

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