आईएसआई का मकड़जाल

सवाल यह भी है कि जवानों में हनीट्रैप के मामले क्यों बढ़ते जा रहे हैं?


सेना और सुरक्षा बलों के तंत्र में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का मकड़जाल गंभीर चिंता का विषय है। पाकिस्तान आमने-सामने के युद्ध में मात खा चुका है, कश्मीर में उसकी साजिश विफल हो चुकी है। लगातार शिकस्त मिलने के बाद अब उसने हनीट्रैप से भारतीय जवानों को ललचाने और खुफिया राज़ हासिल करने के 'धंधे' को परवाना चढ़ाना शुरू कर दिया है। सेना और सुरक्षा बलों को इस संबंध में खास सावधानी बरतनी होगी।

सवाल यह भी है कि जवानों में हनीट्रैप के मामले क्यों बढ़ते जा रहे हैं? करीब दो सप्ताह पहले भारतीय वायु सेना का एक सार्जेंट रक्षा प्रतिष्ठानों और अधिकारियों के बारे में गोपनीय और संवेदनशील सूचना एक पाकिस्तानी 'महिला' एजेंट को भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अब भारतीय सेना के एक जवान का ऐसा ही मामला सामने आया है, जो 'रिया शर्मा' नामक पाकिस्तानी महिला एजेंट के हनीट्रैप का शिकार हो गया। जाहिर है कि महिला का यह नाम फर्जी है लेकिन उसने अपने प्रेमजाल में फंसाकर जवान से ऐसे कई राज़ हासिल कर लिए जो देश की सुरक्षा से जुड़े हैं।

इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। सबका तरीका लगभग एक जैसा है। पहले तो एक महिला की सुंदर तस्वीर लगे अकाउंट से फ्रेंड रिक्वेस्ट आती है। उसे स्वीकार करने के बाद बातचीत शुरू होती है, जो धीरे-धीरे गहरी होती जाती है। जवानों को पता ही नहीं होता कि वे किस जाल में फंस चुके हैं। ये महिला एजेंट आईएसआई द्वारा प्रशिक्षित होती हैं, जिन्हें ऐसे हथकंडे सिखाए जाते हैं ताकि वे जवानों को अपने प्रेमजाल में फांस सकें।

जवान इस भ्रम में रहता है कि वह महिला उससे बेहद प्रेम करती है, जबकि पाकिस्तानी महिला के लिए वह सिर्फ एक टारगेट है जिसके जरिए वह ज़्यादा से ज़्यादा गोपनीय जानकारी हासिल करने की फिराक में रहती है। यह विषय इसलिए भी विचारणीय है क्योंकि इतने मामले सामने आने के बावजूद जवानों का हनीट्रैप में फंसने का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा है। एक के बाद एक कड़ी जुड़ती जा रही है। कई जवान जाने-अनजाने में ऐसी महिलाओं के साथ सूचनाएं साझा कर रहे हैं, जिससे कालांतर में देश की सुरक्षा के सामने बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।

इन मामलों की रोकथाम के लिए सेना और सुरक्षा बलों के जवानों की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्हें इससे बचने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए। अधिकारी व्यक्तिगत रूप से अपने जवानों से यह जानकारी लें कि वे किसी ऐसे मायाजाल में तो नहीं फंसे हैं। उन्हें विश्वास में लेकर शत्रु के नेटवर्क को नष्ट किया जाए।

सरकार प्रतिवर्ष अपने देश एवं नागरिकों की सुरक्षा के लिए अरबों रुपए खर्च कर रही है। हमारे सैनिक त्याग और बलिदान की मिसाल पेश कर रहे हैं। दूसरी ओर शत्रु की एक विषकन्या कुछ वॉट्सऐप कॉल से गोपनीय जानकारी हासिल कर अपने आकाओं को भेज दे तो यह हमारी पूरी तैयारी पर पानी फेरने जैसा है। देश के सुरक्षा तंत्र में शत्रु को सेंध लगाने का अवसर देने वाले हर व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

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