लोन ऐप का जाल

इस घटना को सिर्फ मप्र से जोड़कर नहीं देखना चाहिए


मध्य प्रदेश के इंदौर में एक शख्स का अपनी पत्नी और दो बच्चे को कथित तौर पर जहर देने के बाद आत्महत्या करने का मामला अत्यंत दुःखद और झकझोर देनेवाला है। इसका संबंध लोन देने वाली ऐप से बताए जाने से एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो गया है कि ऐसी ऐप्स के महाकाय होकर बेकाबू होने से पहले सरकारें कुछ करेंगी या नहीं।

इस घटना को सिर्फ मप्र से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। देश के कई हिस्सों से इन ऐप्स द्वारा परेशान किए जाने की शिकायतें आती रही हैं। इनको समय रहते नियमों के दायरे में लाना होगा, अन्यथा ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। कोरोना काल में लाखों लोगों को रोज़गार, कारोबार में नुकसान हुआ है। ऐसे में उन्हें तंगी का सामना था। साथ ही मोबाइल फोन पर अधिक समय बिताने के कारण वह अवधि इन ऐप्स के लिए फायदे का सौदा साबित हुई।

ये लोन लेने के लिए ललचाती हैं, बल्कि उकसाती हैं। एक बार जब कोई इनके जाल में फंस जाता है तो बहुत ऊंची दर पर जमकर ब्याज वसूलती हैं। देखने में आया है कि लोग घरेलू जरूरतों के अलावा शादी, हनीमून, सैर-सपाटे तक के लिए इन ऐप्स से लोन ले लेते हैं। शुरुआत में इनकी शर्तें बहुत आकर्षक लगती हैं, लेकिन जब चुकाने की बारी आती है और एक दिन भी आगे-पीछे हो जाता है तो बहुत सख्ती बरती जाती है।

ऐसे भी मामले सामने आ चुके हैं कि लोन ऐप्स मूल का कई गुना वसूलने के बावजूद राहत नहीं देतीं। इनके रिकवरी एजेंटों द्वारा अभद्र व्यवहार की अनगिनत शिकायतें हैं। कई लोगों ने तो यह भी शिकायतें की हैं कि उनकी तस्वीरों से छेड़छाड़ कर अश्लील रूप दे दिया, फिर परिचितों तक पहुंचाने की धमकी दी गई।

हमारे बुजुर्गों ने कर्ज, फर्ज और मर्ज को कभी न भूलने की बात कही है, जिसके पीछे सदियों का अनुभव है। बल्कि जहां तक संभव हो, कर्ज से बचना ही श्रेष्ठ है। कहा भी जाता है कि जिस व्यक्ति के सिर पर एक रुपए का भी कर्ज नहीं, जिसका स्वास्थ्य अच्छा है और जिसके परिवार में प्रेम है - वह सुखी मनुष्य है। लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि कर्ज लेना ही पड़ता है। उसके लिए देश में बैंकिंग प्रणाली है, जिसमें समयानुसार सुधार होते रहने चाहिएं। इसे और आसान बनाने की जरूरत है, ताकि जब किसी को धन उधार लेना हो तो वह एक सुव्यवस्थित प्रणाली से ले और समय पर चुका दे।

इन लोन ऐप के मकड़जाल को लेकर चीन की भूमिका संदिग्ध है। पूर्व में कई चीनी ऐसे मामलों में पकड़े जा चुके हैं। सवाल है- क्या महामारी फैलाकर भारतीयों को कर्ज के जाल में फंसाने का कोई चीनी जाल है? चीन का मौजूदा शासन तंत्र किसी तरह की दया, करुणा में विश्वास नहीं करता। उसे धन चाहिए, जमीन चाहिए। इसके लिए किसी के प्राण जाते हैं तो जाएं, चीन को धन, जमीन दरकार है। चीनी कर्ज के कारण श्रीलंका का हाल दुनिया देख चुकी है। पाकिस्तान अपने अंजाम को पहुंचने वाला है।

यद्यपि भारतीय चीन की मंशा से परिचित हैं, उसके माल का बहिष्कार करते रहते हैं, लेकिन अब उन्हें इस दृष्टिकोण से सोचना होगा। भारत सरकार पता लगाए कि देश में कितनी लोन ऐप्स हैं और वे किस कानून के तहत पैसा दे रही हैं। इनकी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कानून की जरूरत है तो वह भी बनाया जाए और इनकी मनमानी पर पाबंदी लगाई जाए।

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