एक सामरिक गठजोड़

एक सामरिक गठजोड़

वियतनाम के राष्ट्रपति त्रान दायी क्वांग की टिप्पणी तार्किक है कि हिंद-एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति-समृद्धि तभी आएगी जब सभी देश नौवहन की स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे व संकीर्ण राष्ट्रवाद से ल़डेंगे। तीन दिवसीय भारत यात्रा पर वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की ब़ढती दखल और सैन्य मजबूती की तरफ इशारा भी किया। साथ ही सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता की वकालत भी की। उन्होंने कहा कि वियतनाम क्षेत्रीय संपर्क और सहयोग व्यवस्था में नयी दिल्ली की सक्रिय भागीदारी का स्वागत करता है। यूं तो दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा से लेकर पेट्रोलियम दोहन तक के क्षेत्रों में समझौते भी हुए और आगामी तीन सालों के भीतर साझा व्यापार को ढाई गुना तक ब़ढाने का संकल्प भी दोहराया गया। नि:संदेह राजनीतिक, रक्षा और सुरक्षा सहयोग द्विपक्षीय संबंधों के रणनीतिक स्तम्भ’’ हैं। अगली सदी के भारत-एशिया-प्रशांत सदी’’ होने की संभावनाओं को हकीकत में तभी बदला जा सकता है, जब सभी देश एक खुले एवं नियमों से चलने वाले क्षेत्र के लिए साझा दृष्टिकोण तैयार करें। दरअसल, बीते साल प्रधानमंत्री मोदी वियतनाम गए तो दोनों देशों ने अपने सामरिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिये रक्षा, आईटी, अंतरिक्ष, दोहरे कराधान से बचाव और मालवाहक पोतों संबंधी वाणिज्यिक नौवहन सूचना साझा करने समेत विभिन्न क्षेत्रों से जु़डे १२ समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। वियतनाम अनेक भारतीय कंपनियों के लिए एक आकर्षक निवेश स्थल है। वियतनाम में भारत की ६८ परियोजनाएं पहले से चल रही हैं। नवंबर, २०१३ में वियतनाम भारतीय कंपनियों को सात तेल खोज ब्लाक प्रदान करने के लिए सहमत हुआ था। वियतनाम में तेल एवं गैस के क्षेत्र में अन्वेषण में भारत की भागीदारी के विरुद्ध अक्सर चीन ने इस आधार पर विरोध जताया है कि ये ब्लाक दक्षिण चीन सागर के विवादित हिस्से में हैं,जबकि वियतनाम ने चीन के विरोध को अस्वीकार किया है। भारत और वियतनाम के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं। बौद्ध धर्म, हिन्दू चम्पा सभ्यता और साझा दर्शन ने हमारे समान रिश्तों को सुदृ़ढ बनाया है। उपनिवेश विरोधी साझी धारणा ने स्वतंत्रता के बाद द्विपक्षीय संबंधों को आकार दिया, अब विकास सहयोग, राष्ट्र निर्माण में अनुभव की साझेदारी, व्यापार एवं निवेश में विस्तार व रक्षा संबंधों में वृद्धि के साथ सामरिक साझेदारी का रूप लिया है।

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