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रेल सेवा पर प्रश्न

रेल सेवा पर प्रश्न

भारत में रेलवे सबसे ब़डी परिवहन सेवा है, सफर और माल ढुलाई दोनों के लिहाज से। रोजाना करो़डों लोग किसी न किसी दूरी तक रेल से सफर करते हैं्। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति और व्यवसाय की दृष्टि से भी रेलवे की अहमियत जाहिर है। मुसाफिरों के लिए जो चीज सबसे ज्यादा मायने रखती है, रेल प्रशासन उसी की सबसे कम फिक्र करता है, चाहे ट्रेनों का समय से परिचालन और निर्धारित समय से गंतव्य पर पहुंचना हो, या सुरक्षा, या स्टेशनों पर साफ-सफाई या खान-पान। सीएजी यानी नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रेलगाडि़यों में और स्टेशनों पर मुसाफिरों को न सिर्फ महंगा खाना दिया जा रहा है बल्कि वह गुणवत्ता में भी मानकों के अनुरूप नहीं होता। बीते शुक्रवार को संसद में पेश की गई यह रिपोर्ट बताती है कि रेलवे खानपान के संबंध में यह प्रावधान है कि वस्तुएं निर्धारित दरों पर बेची जाएंगी, प्रत्येक वस्तु का मूल्य रेल प्रशासन तय करेगा, यात्रियों से अधिक कीमत नहीं ली जाएगी। लेकिन यह देखा गया कि बिस्कुट, सीलबंद उत्पाद, मिठाइयां आदि (पीएडी वस्तुएं) खुले बाजार की तुलना में भिन्न वजन और भिन्न मूल्य से रेलवे स्टेशनों पर बेची जा रही थीं्। जुर्माना लगाए जाने के बाद भी मुसाफिरों से ज्यादा कीमत वसूलने और शोषण के मामले जारी रहे। इस रिपोर्ट से ठेकेदारों की मनमानी जाहिर है। स्टेशनों के अलावा रेलगाडि़यों के भीतर मिलने वाले भोजन को लेकर भी शिकायतें आम हैं्। जब राजधानी जैसी आला दर्जे की ट्रेनों में सफर करने वाले अक्सर यह शिकायत करते मिलते हैं, तो सामान्य श्रेणी की ट्रेनों में क्या हाल होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। दरअसल, मुसाफिर रोजाना जो भुगतते रहे हैं, सीएजी की रिपोर्ट ने उसी की पुष्टि की है। कुछ सालों से रेलवे को विश्वस्तरीय बनाने का दम भरा जा रहा है। इसके लिए विदेशी निवेश आमंत्रित करने तथा कुछ देशों की विशेषज्ञता का लाभ लेने की बातें कही जाती रही हैं्। लेकिन ये सब दीर्घकालीन परियोजनाएं हैं पर सुरक्षा, ट्रेनों के समय से परिचालन तथा समय से गंतव्य पर पहुंचने और साफ-सफाई व खान-पान सेवा में सुधार जैसी कसौटियों पर खरा उतरने के लिए रेलवे को कितना वक्त चाहिए? जाहिर है, असल समस्या अनुशासन तथा यात्रियों के प्रति संवेदनशीलता की कमी की है। यह सही है कि साफ-सफाई अकेले रेल प्रशासन या संबंधित एजेंसी के बूते की बात नहीं है, इसके लिए मुसाफिरों को जागरूक करना होगा, ऐसा माहौल बनाना होगा कि सफर के दौरान सफाई का ध्यान रखने का मनोवैज्ञानिक दबाव हर किसी को महसूस हो। भोजन तैयार करने की प्रक्रिया में स्वच्छता, गुणवत्ता रेलवे की ही जिम्मेदारी है।

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