मच्छर से जंग

मच्छर से जंग

बेंगलूरु और चेन्नई में डेंगू के मामले लगातार ब़ढ रहे हैं और लगातार कर्नाटक और तमिलनाडु में इस बीमारी से जूझ रहे लोगों की संख्या में वृद्धि हो रही है। डेंगू से निपटने के लिए कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारें विफल ऩजर आ रही हैं। बीमारी के ब़ढते मामले चिंताजनक है। डेंगू को फैलने से रोकने के लिए सरकारी विभागों द्वारा किए जा रहे प्रयास अधूरे साबित हो रहे हैं। साथ ही डेंगू के उपचार के बारे में भी आवश्यक जानकारी जनता तक नहीं पहुंची है। ऐसे में नागरिक सोशल मीडिया पर दिए जा रहे डेंगू के उपचार के नुस्खों को अपनाकर खुद ही इस बीमारी से ल़डने की गलती कर लेते हैं। देश में मानसून के प्रवेश के बाद सरकारों को पानी से फैलने वाली बीमारियों के खिलाफ मोर्चा खोल देना चाहिए था और इस जंग के लिए पुख्ता तैयारी कर लेनी चाहिए थी। परंतु कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारें क्षेत्रीय राजनीति में बदलते समीकरणों के कारण, राज्यों की प्रमुख चुनौतियों को ऩजर अंदा़ज कर निजी स्वार्थ के लिए राजनैतिक मुद्दों पर वक्त बर्बाद कर रही है।हालाँकि कर्नाटक और तमिलनाडु सरकारें इस बात का दावा करने में पीछे नहीं हटेंगी कि उनके राज्य में मच्छरों जनित बीमारियों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं परंतु ़जमीनी स्तर पर ऩजारा कुछ अलग ही ऩजर आता है। लोगों में डेंगू और ऐसी अन्य बीमारियों से बचने के लिए आवश्यक जागरुकता की कमी है। अगर राज्य के लोगों को मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में विस्तृत जानकारी हो तो निश्चित रूप से इन बीमारियों पर काबू पाना आसान हो जाएगा। साथ ही छोटे छोटे गांवों और कस्बों तक इन बीमारियों से जूझने के लिए आवश्यक दवाइयां उपलब्ध करनी होंगी। अगर ग्राम पंचायत और नगर निगमों में मच्छरों से निजात पाने के लिए छि़डकाव के साधन नहीं होंगे तो भी इन बीमारियों के खिलाफ ल़डाई अधूरी ही रह जाएगी। कई बार यह भी देखा गया है कि अधिकारियों को यह तक पता नहीं होता की पानी का ठहराव किस क्षेत्र में हुआ है और किधर छि़डकाव की जरुरत है। ऐसे में स्थानीय लोगों की समिति बनाई जानी चाहिए ताकि वह अधिकारियों को आवश्यक सुझाव दे सकें। सरकार और विभिन सरकारी विभाग मच्छरजनित बीमारियों पर काबू पाने की कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन अभी भी आवश्यक कदम नहीं उठाये जा रहे हैं अगर ऐसा ही चलता रहा तो निकट भविष्य में इन बीमारियों से निजात पाना संभव नहीं है। सरकार को नागरिकों के समक्ष इन बीमारियों से बचने के बारे में जागरुकता ब़ढाने की जरूरत है और इसके लिए सरकार को ठोस नीति बनाकर पूरे राज्यों में इसे लागू करना होगा।

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