विपक्ष की कोशिश

विपक्ष की कोशिश

लगातार मजबूती की ऊंचाइयां छूती भारतीय जनता पार्टी का सामना करने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशें फिर एक बार परवान च़ढ रही हैं। इस बार इस पहल की कमान जनता दल (यू) के शरद यादव ने संभाली है और उन्होंने यह अभियान को मजबूत बनाने के लिए भाजपा की विरोधी दलों को एक मंच पर एकत्रित करने की भी कोशिश की है। उन्होंने पिछले दिनों साझा विरासत बचाओ सम्मेलन में कांग्रेस समेत १७ राजनीतिक दलों के नेताओं को बुलाने में सफलता हासिल की। इस बार की कोशिश में एक खास बात यह है कि एकता का कोई सूत्र या विजन सामने आया है। अभी तक ये नेता किसी चुनाव के लिए या सरकार की किसी नीति का विरोध करने के लिए इकट्ठा होते थे, जिसकी नीतीश कुमार ने आलोचना की थी और कहा था कि विपक्षी एकता सिर्फ सरकार का विरोध करने के लिए नहीं होनी चाहिए बल्कि एकजुटता के पीछे कोई विजन होना चाहिए। इस बार साझी विरासत का एक विजन तो दिख रहा है। निश्चय ही साझी विरासत को बचाना एक चुनौती है। जब से मोदी सरकार आई है, देश की बहुलता और वैविध्य पर चोट करने का सिलसिला जारी है, जिससे देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों और अन्य कमजोर तबकों में एक खौफ पैदा हो गया है। अगर विपक्ष देश में सांप्रदायिक सौहार्द मजबूत करने के इरादे के साथ सामने आता है, तो इससे न सिर्फ अल्पसंख्यक समुदायों का भरोसा वापस लौटेगा बल्कि देश की तमाम प्रगतिशील ताकतों की आवाज भी मजबूत होगी। वह जनता के साथ लगातार संवाद बनाए और सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ संघर्ष छे़डंे। सिर्फ नारों और जुमलों से काम नहीं चलेगा। विपक्ष ने मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं, पर उसे यह भी साफ करना होगा कि उनकी वैकल्पिक नीतियां क्या हैं? विपक्षी दल अभी जनता के बीच खुद को विश्वसनीय साबित नहीं कर पा रहे हैं। उनमें आत्मविश्वास का घोर अभाव दिखता है और उनके पास ऐसा कोई कद्दावर नेता भी नहीं जो सबको जो़ड सके। इस कारण जनता में उनकी स्वीकार्यता ब़ढ नहीं रही है। कांग्रेस के भीतर अब भी राहुल गांधी को लेकर दुविधा बनी हुई है। लेफ्ट पार्टियां लगातार हार से निस्तेज प़ड गई हैं। समाजवादी पार्टी को पिछले विधान सभा चुनाव मिली करारी हार से अभी तक उभर नहीं पाई है। बहुजन समाज पार्टी की हालत बहुत खराब है। राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद और उनका परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। ममता बनर्जी ने अपनी छवि एक अविश्वसनीय नेता की बना ली है। ऐसे में सभी को एक जुट करना आसान कार्य नहीं है। भाजपा से ल़डने के लिए विपक्ष को क़डी मशकत करनी प़डेगी।

About The Author: Dakshin Bharat