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न्याय में विलम्ब

न्याय में विलम्ब

पिछले कई सालों से जेल में अपना समय बिता रहे मालेगांव बम विस्फोट के आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित को उच्चतम न्यायलय ने सशर्त जमानत देते हुए क़डे शब्दों में यह टिपण्णी दी है कि ’’किसी भी व्यक्ति की जमानत की मांग केवल इस आधार पर खारिज नहीं की जा सकती, कि कोई वर्ग या समुदाय अभियुक्त के खिलाफ हैं। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या कर्नल पुरोहित को इतने लम्बे समय तक जमानत केवल इसलिए नहीं दी गयी थी कि उन्हें जमानत मिलने से किसी समुदाय को ठेस पहुँचती है? जिस मामले में कर्नल पुरोहित पर मुकदमा चल रहा है उसके तहत दोषी को अधिकतम सात साल तक की सजा का प्रावधान है। ऐसे में कर्नल आठ साल से भी अधिक समय जेल में बिता चुके हैं। उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद सेना कर्नल पुरोहित का निलम्बन रद्द करने पर विचार कर रही है। मालेगांव धमाके में पुरोहित का नाम आने के बाद, यह गंभीर सवाल उठ रहा था कि क्या आतंकी संगठन सेना के अफसरों से संपर्क में है और क्या सेना ऐसे आतंकियों की मदद कर रही है। ऐसे आरोपों के मद्देऩजर अपनी छवि को बेदा़ग बनाए रखने के उद्देश्य से सेना ने पुरोहित पर क़डी कार्यवाई की थी। जांच एजेन्सियोें की कार्यशैली पर भी उच्चतम न्यायलय के इस फैसले के बाद सवाल उठाए हैं। जांच एजेेन्सियों ने पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा पर जो आरोप लगाए थे, उन्हें वे अभी तक सबूतों के अभाव के कारण साबित करने में विफल रहे हैं। अगर जांच एजेन्सियों पर सुबूत नहीं थे तो ऐसे में पुरोहित को इतना लम्बा समय क्यों जेल में बिताना प़डा? मालेगांव धमाके को लगभग नौ साल हो चुके हैं और अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि कर्नल पुरोहित क्या इस संगीन जुर्म में शामिल थे? जांच एजेन्सियों इस हमले के लिए जिस संगठन को कठघरे में ख़डा किया उसका नाम अभिनव भारत है। अभिनव भारत से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जुडी हुईं हैं अनेक वर्षों तक जेल में रहने के बावजूद जब साध्वी पर विस्फोट कराने के आरोप सिद्ध न हुए तो उन्हें भी जमानत मिल गई थी। प्रारम्भ में इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते ने की थी और बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी को यह मामला सौंपा गया था। दोनों ही जांच एजेन्सियों के निष्कर्ष विरोधाभासी रहे और कर्नल पुरोहित को जमानत मिलने से वह आरोप मुक्त तो नहीं हुए हैं लेकिन कम से कम इतने लम्बे अरसे के बाद उन्हें राहत तो मिली। प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि इस मामले में कार्यवाही जल्द कराई जाए। अगर इस मामले में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित निर्दोष हैं तो यह भी पता लगाना अनिवार्य हो जाता है कि आखिरकार मालेगांव विस्फोट के लिए जिम्मेदार कौन है?

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