ईरान पर आईएस का हमला

ईरान पर आईएस का हमला

ईरान के संसद भवन एवं ईरान के शीर्ष नेता रहे अयातुल्लाह खुमैनी के मकबरे पर आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ने बुधवार को एक साथ हमला बोल दिया। पिछले दिनों मैनचेस्टर और फिर लंदन में हुए आतंकी हमले अभी लोगों के ़जहन से उतरे भी नहीं थे कि आतंकवाद ने फिर चुनौती दे डाली है। इस्लामिक स्टेट अपने आतंकी नेटवर्क को विश्व के सभी क्षेत्रों में फैलता जा रहा है और सच तो यह है कि इस्लामिक स्टेट के निशाने पर ईरान काफी लम्बे अरसे से बना हुआ था। अमेरिका सहित अनेक पश्चिमी देशों ने इस्लामिक स्टेट को ज़ड से उखा़ड फेकने की बात कही है और साथ ही आईएस के खिलाफ कार्यवाही में जुटे हुए हैं परंतु सच तो यह है कि ईरान सीरिया की असद सरकार को आईएस के खिलाफ जंग में पूरा समर्थन दे रखा है। यह गौर करने वाली बात यह है कि असद सरकार शिया घटक की है और इस्लामिक स्टेट एक सुन्नी संगठन है। ईरान पर एक छोटे आतंकी संगठन का समर्थन करने का भी आरोप लगाया जाता रहा है। शिया मिलिशिया नाम का यह संगठन इराक में शिया लोगों की रक्षा करने और आईएस को कम़जोर करने एक उद्देश्य से पिछले कुछ समय से इराक में सक्रिय है। यह पहली बार था जब आईएस ने ईरान के खिलाफ कोई सीधा हमला किया हो। ईरान आईएस के खिलाफ ल़डाई में सम्भवता अब और अधिक ताकत झोंक सकता है। कुछ वर्षों पहले अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों ने ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध हटाए थे जिसके बाद ऐसा लगने लगा था ईरान और अन्य देशों के रिश्तों में सुधार आएगा। ईरानी उद्योग के लिए नए अवसर खुलने की उम्मीद जताई जाने लगी थी परंतु इस दिशा में कोई ठोस काम किया नहीं गया और केवल ईरान एवं अमेरिका द्वारा दिए जाने वाले बयानों में थो़डी नरमी दिखाई देने लगी थी। यह पुराने समीकरणों अमेरिकी तंत्र में डोनाल्ड ट्रम्प की अगुवाई के बाद बहुत बदल चुके हैं। इस बदलाव की छवि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा तेहरान हमले पर ट्वीट द्वारा की गई टिपण्णी से सामने आती है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने ट्वीट में ईरान पर ही आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगा डाला। वहीं दूसरी और ईरानी रक्षा एजेंसियाँ इस हमले के लिए सऊदी को जिम्मेदार बता रहीं हैं। आतंकवाद के खिलाफ एक जुट होने के बदले आपसी मतभेदों को अधिक महत्व दे रहे नेताओं से यह उम्मीद लगाना मुश्किल है कि आईएस के खिलाफ कार्यवाही करने में सफल रहेंगे।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पिछले दिनों हुई सऊदी अरब की यात्रा से यह तो लगने लगा था कि खा़डी देशों के बीच रिश्तों में बदलाव आएगा परंतु बुधवार को हुए हमले ने इस क्षेत्र को दो ध़डों में बाँट दिया है। एक तरफ इस्लामिक स्टेट आतंकी संगठन अपना जाल पूरी दुनिया पर ़फैलाने में लगा हुआ है और दूसरी और आतंक के खिलाफ ल़डाई में अहम भूमिका निभा रहे देश आपसी मतभेद को सुलझाने में सफल नहीं हो रहे हैं। पश्चिम एशिया में आतंकवाद के खिलाफ लागू की जाने वाली रणनीति पर रूस और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश ही सहमति बना नहीं पारहे हैं। समय आ चुका है कि सभी देश अपने आपसी मतभेदों को भुलाकर आईएस को नष्ट करने के लिए एकजुट होकर ठोस कार्यवाही करें। आतंकवाद एक विश्व स्तरीय समस्या है जिसे जल्द से जल्द विश्व के ऩक्शे से उखा़ड फेंकना होगा।

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