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कौन हैं गुराजाडा अप्पाराव जिनका प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में किया उल्लेख?

कौन हैं गुराजाडा अप्पाराव जिनका प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में किया उल्लेख?
कौन हैं गुराजाडा अप्पाराव जिनका प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में किया उल्लेख?

प्रसिद्ध तेलुगु लेखक एवं कवि गुराजाडा अप्पाराव। फोटो स्रोत: फेसबुक पेज Gurajada apparao garu

हैदराबाद/भाषा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्रव्यापी कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत करते हुए अपने संबोधन में प्रसिद्ध तेलुगु लेखक एवं कवि गुराजाडा अप्पाराव की पंक्तियों को उद्धृत किया और निस्वार्थ भाव से दूसरों के काम आने पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने अप्पाराव की कविता की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा, ‘सौन्त लाभं कौन्त मानुकु, पौरुगुवाडिकि तोडु पडवोय् देशमन्टे मट्टि कादोयि, देशमन्टे मनुषुलोय!’

इसका हिंदी में अर्थ होता है, ‘हम दूसरों के काम आएं, यह निस्वार्थ भाव हमारे भीतर रहना चाहिए। राष्ट्र सिर्फ मिट्टी, पानी, कंकड़, पत्थर से नहीं बनता, बल्कि राष्ट्र का अर्थ होता है, हमारे लोग।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोरोना (महामारी) के विरुद्ध लड़ाई को संपूर्ण देश ने इसी भावना के साथ लड़ा है। आज जब हम बीते साल को देखते हैं तो, एक व्यक्ति के रूप में, एक परिवार के रूप में, एक राष्ट्र के रूप में हमने बहुत कुछ सीखा है, बहुत कुछ देखा है, जाना है, समझा है।’

अप्पाराव (1862-1915) का जन्म आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में हुआ था। वे विजयनगरम के पास रहते थे। उनकी कई कृतियों में 1892 में लिखी गई ‘कन्यासुल्कम’ लोकप्रिय रचनाओं में शामिल है।

प्रधानमंत्री ने शनिवार को कोविड-19 के खिलाफ विश्‍व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत की और कहा कि ‘मेड इन इंडिया’ टीकों के जरिए कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ एक ‘निर्णायक जीत’ सुनिश्चित होगी।

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