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ईवीएम छोड़कर बैलट के जमाने में लौट चले चुनाव आयोग : सिद्दरामैया

ईवीएम छोड़कर बैलट के जमाने में लौट चले चुनाव आयोग : सिद्दरामैया

रायचूर। मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने भारत निर्वाचन आयोग से मांग की है कि अगले वर्ष होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के स्थान पर पारंपरिक बैलट पेपर्स के जरिए मतदान करवाया जाए। शनिवार को यहां एक पत्रकार वार्ता में सिद्दरामैया ने ईवीएम के दुरुपयोग की आशंका जताते हुए इनका प्रयोग न किए जाने का आग्रह आयोग से किया है। उन्होंने कहा, उनके (भाजपा के) पास केंद्रीय सत्ता की ताकत है। निर्वाचन आयोग केंद्र सरकार के अंतर्गत ही काम करता है। हालांकि यह एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है लेकिन तथ्य यह है कि केंद्र सरकार ही भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को नियुक्त करती है। हम यह कहना चाहते हैं कि हमें पुराने बैलट पेपर से चुनाव करवाने की जरूरत है। इसमें कठिनाई क्या है? सिद्दरामैया ने दावा किया कि वह ईवीएम से चुनाव करवाना बंद करने की मांग अचानक नहीं कर रहे हैं। इस विषय में विशेषज्ञों के साथ पहले ही उनकी बातचीत हो चुकी है। इन विशेषज्ञों ने बताया है कि ईवीएम से चुनाव के दौरान छे़डछा़ड किया जाना मुमकिन है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी पारंपरिक बैलट पेपर्स से मतदान करवाने की मांग उठ चुकी है। इसमें समस्या ही क्या है? कई देशों में ईवीएम को आजमाने के बाद अब दोबारा बैलट बॉक्स और बैलट पेपर के जरिए मतदान करवाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, मैं इस विषय में चुनाव आयोग को एक पत्र लिखूंगा कि राज्य विधानसभा चुनाव में बैलट पेपर का प्रयोग किया जाए, न कि ईवीएम मशीनों का। गुजरात चुनाव के नतीजों का कर्नाटक पर प़डनेवाले असर के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राज्य के चुनाव नतीजों का असर देश के अन्य राज्यों पर नहीं प़डता है। चूंकि किन्हीं भी दो राज्यों के मुद्दे एक जैसे नहीं होते। इसलिए, इस प्रश्न के उत्तर में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि जब तक मतगणना नहीं हो जाती है, तब तक एक्जिट पोल्स सिर्फ एक्जिट पोल्स ही रहेंगे। कई मौकों पर इनकी कमजोरियां और खामियां सामने आ चुकी हैं। हमें १८ दिसंबर तक इंतजार करना चाहिए कि १८ दिसंबर को गुजरात में भाजपा की हालत क्या होगी।

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