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कांग्रेस सरकार ने उत्तर कर्नाटक में तेज विकास की शुरुआत की : सिद्दरामैया

कांग्रेस सरकार ने उत्तर कर्नाटक में तेज विकास की शुरुआत की : सिद्दरामैया

बेलगावी। मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक में सत्ता विरोधी लहर नहीं है और छह महीने बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को फिर से जनता का साथ मिलेगा क्योंकि हमारी सरकार ने पिछले सा़ढे चार सालों के दौरान राज्य के समस्त क्षेत्रों में विकास को सुनिश्चित किया है और विश्वसनीय प्रदर्शन किया है। उन्होंने आगामी चुनाव में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बी एस येड्डीयुरप्पा के १५० सीटें जीतने के दावों का उपहास उ़डाते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी २२४ सदस्यीय विधानसभा में ५० का अंक भी नहीं छू पाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने उत्तर कर्नाटक क्षेत्र में विकास की ते़ज गति सुनिश्चित की है और पिछले चार वर्षों की अवधि के दौरान इस क्षेत्र के लिए रिकार्ड धनराशि का आवंटन हुआ। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इस क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए ईमानदार प्रयास किया है। विधानसभा में क्षेत्रीय असंतुलन, महादयी नदी विवाद, डॉ नंनजुदप्पा समिति की रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर धारा ६९ के तहत विशेष चर्चा के जवाब में उन्होंने कहा कि न सिर्फ उत्तर कर्नाटक के लोग और पूरे राज्य की जनता सरकार के अच्छे प्रदर्शन के बारे में आश्वस्त है। बिकि हमारी सरकार के विरुद्ध कर्नाटक में किसी प्रकार की सत्ता विरोधी लहर नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पिछ़डा क्षेत्र में शामिल हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के विकास सहित कृषि, सिंचाई, पीडब्लूडी, ग्रामीण विकास, शिक्षा, समाज कल्याण और अन्य क्षेत्रों में रिकॉर्ड धन आवंटन किया है। झ्श्नथ्य्द्मद्बैंख़य्र्‍ ·र्ैंर्‍ द्बक्द्भडत्र्त्रय् फ्ष्ठ ब्ह्ख्य् द्बब्य्ख्रद्भर्‍ ्यप्प्य्ख्र फ्द्बय्थ्य्द्म अंतरराज्यीय महादयी नदी जल विवाद के समाधान पर सिद्दरामैया ने कहा कि मैं स्पष्ट रूप से मानता हूं कि इस विवाद का हल तभी संभव है जब प्रधानमंत्री राज्यों के बीच मध्यस्थता करेंगे। कर्नाटक को महादयी से ७.५६ टीएमसी फीट पानी मुहैया कराने से उत्तर कर्नाटक के जिलों की प्यास बुझेगी और इस मुद्दे को केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप से हल किया जा सकता है। उन्हांेने कहा कि प्रधानमंत्री को कर्नाटक के दोनों प़डोसी राज्यों महाराष्ट्र और गोवा के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलानी चाहिए और कर्नाटक के पेयजल से संबंधित इस दीर्घ लंबित विवाद का समाधान करना चाहिए।

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