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ओपीडी सेवाएं बंद रहने से मरीजों का हाल बेहाल

ओपीडी सेवाएं बंद रहने से मरीजों का हाल बेहाल

बेंगलूरु। इलाज में लापरवाही के लिए निजी अस्पतालों को जवाबदेह ठहराने और चिकित्सा शुल्क निर्धारित करने वाले अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों के खिलाफ राज्य के निजी डॉक्टरों की ह़डताल के चौथे दिन गुरुवार को बेंगलूरु के करीब २२ हजार निजी डॉक्टरों के शामिल हो जाने के कारण बेंगलूरु सहित पूरे राज्य में चिकित्सा व्यवस्था करीब करीब ठप हो गई। बेलगावी में चल रहे विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में कर्नाटक निजी मेडिकल एस्टाब्लिशमेंट (केपीएमई) विधेयक को पेश करने की राज्य सरकार ने योजना बनाई थी लेकिन डॉक्टरों के विरोध को देखते हुए अब सरकार अपने कदम पीछे खींचने लगी है। राज्य में बिग़डती चिकित्सा व्यवस्था को देखते हुए मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने गुरुवार को ट्वीट कर डॉक्टरों से अपील की कि वे अपनी ह़डताल वापस ले लें और दोबारा काम पर लौटें। उन्होंने कहा कि विधेयक को दोनों सदनों में पेश नहीं किया गया है और सरकार अभी भी वार्ता के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हम डॉक्टरों को भरोसे में लेने के बाद इस विधेयक को सदन में पेश करेंगे। वहीं विधानसभा और विधान परिषद दोनों सदनों में सिद्दरामैया सहित राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रमेश कुमार ने विपक्ष और डॉक्टरों को भरोसा दिया कि विधायकों की संयुक्त समीक्षा समिति की समीक्षा के बाद ही विधेयक पेश किया जाएगा। सिद्दरामैया ने कहा कि मैं डॉक्टरों से अपील करता हूं कि आप अपने सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए ह़डताल खत्म करें। वहीं कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए डॉक्टरों को कहा कि वे अपनी ह़डताल वापस ले लें। द्बद्यर्‍ज्ह्र ·र्ैंह् द्वय्ष्ठयद्मर्‍ झ्ठ्ठणक्क द्यब्र्‍ ब्स् झ्द्यष्ठप्रय्य्द्मर्‍केपीएमई विधेयक के विरोध में डॉक्टरों की ह़डताल के कारण गुरुवार को बेंगलूरु सहित पूरे राज्य में मरीजों को परेशानी झेलनी प़डी। निजी अस्पतालों और क्लिनिकों के बंद रहने के कारण ब़डी संख्या में मरीज सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए आए जिस कारण अधिकांश सरकारी अस्पतालों में भारी भी़ड देखी गई। वहीं डॉक्टरों की ह़डताल से अनजान लोग जब निजी अस्पतालों में पहंुचे तब उन्हें निराश होकर वहां से लौटना प़डा। ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा सुविधाएं लगभग ठप रहने के कारण मरीजों को गंभीर स्थिति में नजदीकी शहरी सरकारी अस्पतालों में लाया जा रहा है जिस वजह से मरीजों की हालत बिग़डने लगी है। निजी अस्पतालों एवं नर्सिंग होम में ओपीडी सेवाएं बंद रहने के कारण पूरे दिन लोग बेहाल दिखे।

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