कर्नाटक: मंत्री द्वारा घर पर ही कोरोना वैक्सीन लगवाने के मामले में केंद्र ने मांगी रिपोर्ट

कर्नाटक: मंत्री द्वारा घर पर ही कोरोना वैक्सीन लगवाने के मामले में केंद्र ने मांगी रिपोर्ट

प्रतीकात्मक चित्र। फोटो स्रोत: PixaBay

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केंद्र ने कहा कि उसने कर्नाटक के कृषि मंत्री बीसी पाटिल से अस्पताल जाने के बजाय अपने घर पर कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के संबंध में कर्नाटक सरकार से रिपोर्ट मांगी है।

पाटिल ने मंगलवार को अस्पताल के बजाय घर पर ही वैक्सीन लगवाई जिसके बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर और अन्य लोगों ने उनकी आलोचना और विवाद खड़ा हो गया।

पाटिल और उनकी पत्नी ने टीकाकरण अभियान के नए चरण के दूसरे दिन वैक्सीन लगवाई जिसमें 60 साल या 45 साल से अधिक आयु और दूसरी बीमारी से ग्रसित लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने एक संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रोटोकॉल में इसकी अनुमति नहीं है। यह हमारे संज्ञान में आया है और हमने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।

पाटिल ने ट्वीट किया था कि आज सरकारी डॉक्टरों ने मेरे हिरेकर हाउस में मुझे और मेरी पत्नी को कोविड वैक्सीन लगाई। ‘मेड इन इंडिया’ के टीके को कई देशों द्वारा काफी सराहा जा रहा है लेकिन कुछ निहित स्वार्थी समूहों द्वारा टीकों के बारे में गलत जानकारी फैलाई जा रही है।

सोशल मीडिया पर घर पर वैक्सीन लेने के उनके फैसले पर सवाल उठाया गया। वहीं सुधाकर ने कहा कि प्रोटोकॉल यही कहता है कि अस्पताल में ही वैक्सीन लगाई जा सकती है।

पाटिल ने अपना बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है और जनता को परेशानी से बचाना चाहते थे। मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि क्या मैंने कोई चोरी या डकैती की है?

उन्होंने कहा कि यह अच्छा है कि उनका टीका लगाना सार्वजनिक हो गया जो दूसरों को वैक्सीन लेने के लिए प्रेरित करेगा। पाटिल ने कहा कि वह अस्पताल गए थे, इससे वहां इंतजार कर रहे लोगों को परेशानी हुई।

हालांकि, सुधाकर ने पाटिल के आचरण पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि मेडिकल टीम को उन्हें अस्पताल आने के लिए राजी करना चाहिए था। मंत्री ने कहा कि वह डॉक्टरों को घर पर टीके नहीं लगाने के लिए एक परिपत्र जारी करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य ने सोमवार को नामित अस्पतालों में टीका लगवाया था।

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