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सिद्दरामैया ने शाह और मोदी पर सरकार गिराने के लिए धन-बल के प्रयोग का आरोप लगाया

सिद्दरामैया ने शाह और मोदी पर सरकार गिराने के लिए धन-बल के प्रयोग का आरोप लगाया

डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरामैया.

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक में कांग्रेस के दो विधायकों के इस्तीफे के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। कांग्रेस ने सरकार तोड़ने के लिए इसे भाजपा की साजिश बताया है। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मोदी और अमित शाह सरकार तोड़ने की साजिश रच रहे हैं।

सोमवार को विजयनगर के कांग्रेस विधायक आनंद सिंह और विधायक रमेश जारकीहोली ने इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद कर्नाटक सरकार में एक बार फिर हड़कंप मच गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्दरामैया ने कहा कि सरकार तोड़ने के पीछे अमित शाह और मोदी सीधे तौर पर साजिश रच रहे हैं।

सिद्दरामैया ने यहां तक कहा कि भाजपा के दोनों शीर्ष नेता कर्नाटक में कांग्रेस-जनता दल (एस) की गठबंधन सरकार गिराने के लिए धन और बल दोनों का प्रयोग कर रहे हैं। वे कर्नाटक में सरकार गिराना चाहते हैं लेकिन वे सफल नहीं होंगे। उन्होंने दावा किया कि भले ही दो विधायकों ने कांग्रेस छोड़ दी हो लेकिन वे भाजपा में शामिल नहीं होंगे।

उधर, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव ने कहा, ‘कांग्रेस के दो विधायक चले जाएंगे तो इसका मतलब यह नहीं कि जनता दल (एस)-कांग्रेस गठबंधन की सरकार गिर जाएगी। ये विधायक इसलिए चले गए क्योंकि उन लोगों ने उन्हें धमकाया, ब्लैकमेल किया और पैसा ऑफर किया। भाजपा यह सब क्यों कर रही है?’

कुमारस्वामी भी बयां कर चुके हैं दर्द
हालिया लोकसभा चुनाव के बाद से कर्नाटक पर लगातार राजनीतिक संकट के बादल छाए हुए हैं। पहले, मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा था कि बतौर सीएम उन्हें सरकार के रोजमर्रा के काम में भी काफी तकलीफ हो रही है। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने राज्य में मध्यावधि चुनाव की बात कह कर सबको चौंका दिया था।

सोमवार को दो कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफों के साथ ही कर्नाटक विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की कुल संख्या घटकर 116 रह गई है। 224 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत जुटाने के लिए 113 विधायकों की जरूरत होती है। इस लिहाज से सरकार अभी स्थिर तो है लेकिन लगातार बढ़ते असंतोष से सरकार के स्थायित्व पर अनिश्‍चितता के बादल मंडराने लगे हैं।

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