नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को यहां विज्ञान भवन में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के ‘सतर्कता जागरूकता सप्ताह’ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने वाले संगठनों को न तो रक्षात्मक होने की और न ही अपराध बोध में जीने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह 'सतर्कता सप्ताह' सरदार साहब की जन्म जयंती से शुरू हुआ है। सरदार साहब का पूरा जीवन ईमानदारी, पारदर्शिता और इससे प्रेरित पब्लिक सर्विस के निर्माण के लिए समर्पित रहा। इसी प्रतिबद्धता के साथ सतर्कता को लेकर जागृति का ये अभियान चलाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में भ्रष्टाचार की और देशवासियों को आगे बढ़ने से रोकने वाली दो बड़ी वजह रही हैं। एक सुविधाओं का आभाव और दूसरा सरकार का अनावश्यक दबाव।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 8 वर्षों से अभाव और दबाव से बनी व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, डिमांड और सप्लाई के गैप को भरने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए हमने तीन रास्ते चुने हैं- आधुनिक टेक्नोलॉजी, मूल सुविधाओं के सैचुरेशन का लक्ष्य और तीसरा आत्मनिर्भरता का रास्ता।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी सरकारी योजना के लाभ हर पात्र लाभार्थी तक पहुंचना, सैचुरेशन के लक्ष्यों को प्राप्त करना, समाज में भेदभाव भी समाप्त करता है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश को भी खत्म कर देता है। हमारी सरकार द्वारा हर योजना में सैचुरेशन के सिद्धांत को अपनाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विभिन्न सरकारी विभागों में जनता के लिए स्वस्थ शिकायत निवारण प्रणाली रही है। लेकिन अगर हम एक कदम आगे बढ़ते हैं, और लोक शिकायत प्रणाली का ऑडिट सुनिश्चित करते हैं, तो हम भ्रष्टाचार के मूल आधार तक पहुंच सकते हैं और उस पर जड़ से प्रहार कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जनता-जनार्दन ईश्वर का रूप होती है। वो सत्य को जानती है और मौका आने पर सत्य के साथ खड़ी भी रहती है। इसलिए, चल पड़िए अपनी ड्यूटी को ईमानदारी से निभाने के लिए, ईश्वर आपके साथ चलेगा, जनता-जनार्दन आपके साथ चलेगी।