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कौन ज़िम्मेदार?

कौन ज़िम्मेदार?
आज शिक्षण संस्थान डिग्री बांटने के गढ़ बनते जा रहे हैं


मोहाली के एक निजी विश्वविद्यालय का एमएमएस कांड यह सोचने को विवश करता है कि जो संस्थान विद्या के मंदिर और श्रेष्ठ मानव बनाने के केंद्र होने चाहिएं, वहां ऐसा निंदनीय कृत्य कैसे हो सकता है? आश्चर्य की बात है कि छात्राओं के वीडियो बनाने का आरोप भी एक छात्रा पर है! जिस उम्र में युवाओं को चरित्र निर्माण, ज्ञान-प्राप्ति और स्वावलंबन जैसे आदर्शों को आत्मसात कर देश की प्रगति में योगदान का संकल्प लेना चाहिए, वे उस उम्र में ऐसे अश्लील कर्म कर रहे हैं!

आखिर यह सोच कहां से पैदा होती है? कौन इसके लिए जिम्मेदार है? आज शिक्षण संस्थान डिग्री बांटने के गढ़ बनते जा रहे हैं। चरित्र-निर्माण और नैतिकता की शिक्षा गायब है। शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य धनार्जन घोषित कर दिया गया है। जिसका ज्यादा पैकेज, वही ज्यादा सफल, जिसका बड़ा बैंक-बैलेंस, वही अनुकरणीय - इस सोच ने समाज को यहां लाकर खड़ा कर दिया है। जब मामला सामने आ गया तो छात्रा अपनी गलती स्वीकार कर रही है, अगर न आता तो शायद उसे कोई पछतावा नहीं होता।

यह शिक्षा से नैतिकता के गायब होने का नतीजा है। हर हाथ में मोबाइल, तेज इंटरनेट, ऊपर से नैतिकताविहीन शिक्षा, जहां ज्यादा से ज्यादा अंक लेकर आना और ऊंची नौकरी पाना ही सबकुछ हो - वहां कोरा ज्ञान ऐसे मनुष्य भी पैदा कर देता है, जो समाज के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं।

इंटरनेट के बेतहाशा प्रसार ने कई समस्याएं भी पैदा कर दी हैं। जिस प्रकार सार्वजनिक स्थलों की सफाई जरूरी है, उसी प्रकार इंटरनेट की सफाई भी जरूरी है। आज गूगल पर एक सर्च करने से ऐसी सामग्री की बौछार शुरू हो जाती है, जो युवाओं के मन को विकृत करने के लिए पर्याप्त है। इस पर पाबंदी जरूरी है।

देश में ऐसे कई रैकेट चल रहे हैं, जो आपत्तिजनक फोटो और वीडियो के नाम पर उगाही कर रहे हैं। रोज बड़ी संख्या में लोग उनके जाल में फंसते हैं, अपनी मेहनत की कमाई गंवाते हैं। वे डर और शर्म की वजह से पुलिस को सूचना देने से बचते हैं। इससे अपराधियों का दुस्साहस बढ़ता है। वे और लोगों को फंसाते हैं। संबंधित कानूनी एजेंसियों को ऐसे रैकेट और वेबसाइट्स पर शिकंजा कसना चाहिए। यूं तो इनके खिलाफ कार्रवाई की खबरें आती रहती हैं, लेकिन अब तक अपराधियों को ऐसी सजा नहीं मिली, जो नजीर बने। इसके लिए जरूरी हो तो सरकार कानून बनाए या संशोधन कर कठोर दंड के प्रावधान लागू करे। आज का युवा कल का डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, शिक्षक, सैनिक, वैज्ञानिक और राजनेता है। अगर वह इंटरनेट के जरिए इन वेबसाइट्स के जाल में फंस गया तो देश के समक्ष चुनौतियों का सामना कैसे करेगा?

आज भारत को तन और मन से पूर्णतः स्वस्थ, चरित्रवान, शक्ति-संपन्न, स्वावलंबी, देशप्रेमी युवा कहीं ज्यादा संख्या में चाहिएं। ऐसे युवा जिनके आदर्श स्वामी विवेकानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, लक्ष्मी बाई आदि हों। जो अध्ययन करें तो इसलिए कि भारत माता पुनः अपना गौरव प्राप्त करे। जो धन कमाएं तो इसलिए कि यह देश संपन्न व आत्मनिर्भर हो। जो टेक्नोलॉजी का उपयोग करें तो इसलिए कि इससे उनका जीवन आसान हो, ताकि वे और अधिक परिश्रम करें, सफलता प्राप्त करें। युवाओं को ऐसे कृत्यों से कोसों दूर रहना चाहिए, जो पतन की ओर ले जाते हैं।

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