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अगर देसी गाय पालेंगे तो यह राज्य सरकार देगी हर साल हज़ारों रुपए!

अगर देसी गाय पालेंगे तो यह राज्य सरकार देगी हर साल हज़ारों रुपए!
साथ ही प्राकृतिक कृषि किट लेने के लिए किसानों को 75 प्रतिशत राशि सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी


भोपाल/भाषा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को देसी गाय रखने के लिए प्रदेश सरकार 900 रुपए प्रति माह देगी। चौहान ने नीति आयोग द्वारा दिल्ली में नवोन्वेषी कृषि पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला को यहां मंत्रालय से डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए यह घोषणा की।

चौहान ने कहा कि जिस प्रकार हरित क्रांति के लिए किसानों को रासायनिक खाद पर सब्सिडी और अन्य सहायता उपलब्ध कराई गई, उसी प्रकार प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन देना और सहयोग करना आवश्यक है। प्राकृतिक खेती के लिए देसी गाय आवश्यक है। देसी गाय से ही प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक जीवामृत तथा धनजीवामृत बनाए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा, प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को देसी गाय रखने के लिए 900 रुपये प्रति माह अर्थात 10,800 रुपये प्रतिवर्ष उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही प्राकृतिक कृषि किट लेने के लिए किसानों को 75 प्रतिशत राशि सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी।

उन्होंने कहा, प्राकृतिक खेती के मार्गदर्शन के लिए प्रत्येक विकासखंड में पांच पूर्णकालिक कर्मियों की सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। प्रत्येक गांव में किसान मित्र और किसान दीदी की व्यवस्था भी होगी, जो प्राकृतिक खेती के ‘मास्टर ट्रेनर’ के रूप में कार्य करेंगे। उन्हें मानदेय भी दिया जाएगा।

चौहान ने कहा कि हरित क्रांति में रसायनिक खाद के उपयोग ने खाद्यान्न की कमी को पूरा तो किया, लेकिन अब इसके घातक परिणाम सामने आ रहे हैं। मुख्यमंत्री के मुताबिक, रसायनिक खाद एवं कीटनाशकों के उपयोग से धरती की सतह कठोर और मुनष्य रोग ग्रस्त होता जा रहा है तथा इसके उपयोग को नियंत्रित करने की आवश्यकता है, जो प्राकृतिक खेती से ही संभव है।

उन्होंने कहा कि प्रारंभिक रूप से प्रत्येक जिले के 100 गांव में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष गतिविधियां संचालित की जाएंगी और वर्तमान खरीफ की फसल से प्रदेश के 5,200 गांव में प्राकृतिक खेती की गतिविधियां शुरू होंगी।

चौहान ने कहा कि अब तक प्रदेश के 1,65,000 किसानों ने प्राकृतिक खेती में रूचि दिखाई है और नर्मदा नदी के दोनों ओर प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती की अवधारणा को व्यवहार में लाने के लिए वह स्वयं पांच एकड़ क्षेत्र में प्राकृतिक खेती शुरू करेंगे तथा राज्य मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य और प्रदेश के किसानों से यह आह्वान किया गया है कि वे अपनी-अपनी कृषि योग्य भूमि में से कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती को अपनाएं।

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