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जनजातीय समाज से आने वाले साथी जब पद्म पुरस्कार के लिए पहुंचे तो दुनिया हैरान रह गई: मोदी

जनजातीय समाज से आने वाले साथी जब पद्म पुरस्कार के लिए पहुंचे तो दुनिया हैरान रह गई: मोदी
'जब देश ने मुझे 2014 में आप सब देशवासियों की सेवा का मौका दिया तो मैने जनजातीय समुदाय के हितों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा'


भोपाल/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस महासम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में जनजातीय नायक-नायिकाओं की वीर गाथाओं को देश के सामने लाना, उसे नई पीढ़ी से परिचित कराना हमारा कर्तव्य है।

गुलामी के कालखंड में विदेशी शासन के खिलाफ खासी-गारो आंदोलन, मिजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि मध्य प्रदेश में जनजातीय परिवारों में तेजी से टीकाकरण हो रहा है। हमारे आदिवासी भाई-बहन टीकाकरण के महत्व को समझते भी हैं, स्वीकारते भी हैं और देश को बचाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं, इससे बड़ी समझदारी क्या हो सकती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गोंड महारानी वीर दुर्गावती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान, देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की कल्पना उन बहादुर भीलों के बिना नहीं की जा सकती जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और बलिदान दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब हम राष्ट्रीय मंचों से, राष्ट्र निर्माण में जनजातीय समाज के योगदान की चर्चा करते हैं, तो कुछ लोगों को हैरानी होती है। ऐसे लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि जनजातीय समाज का भारत की संस्कृति को मजबूत करने में कितना बड़ा योगदान रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जनजातीय समाज के योगदान के बारे में या तो देश को बताया ही नहीं गया और अगर बताया भी गया तो बहुत ही सीमित दायरे में जानकारी दी गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आज़ादी के बाद दशकों तक जिन्होंने देश में सरकार चलाई, उन्होंने अपनी स्वार्थ भरी राजनीति को ही प्राथमिकता दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश ने मुझे 2014 में आप सब देशवासियों की सेवा का मौका दिया तो मैने जनजातीय समुदाय के हितों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा। आज सही मायने में आदिवासी समाज के हर साथी को देश के विकास में उचित हिस्सेदारी और भागीदारी दी जा रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी हाल में पद्म पुरस्कार दिए गए हैं। जनजातीय समाज से आने वाले साथी जब राष्ट्रपति भवन पहुंचे तो दुनिया हैरान रह गई। आदिवासी और ग्रामीण समाज में काम करने वाले ये देश के असली हीरे हैं।

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