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लॉकडाउन में लौट आए सांप-सीढ़ी, कैरम और लूडो के सुनहरे दिन

लॉकडाउन में लौट आए सांप-सीढ़ी, कैरम और लूडो के सुनहरे दिन

नई दिल्ली/भाषा। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण लागू लॉकडाउन ने हम सभी को ऑनलाइन की आभासी दुनिया से निकालकर सांप-सीढ़ी, कैरम, लूडो, मोनोपोली जैसे खेलों का महत्व याद दिला दिया है। पुराने समझे जाने वाले ये खेल आजकल घर में बैठे परिवारों में लोकप्रिय हो रहे हैं।

इस लॉकडाउन से पहले लोगों को शिकायतें रहती थी कि रोजमर्रा की जिंदगी में परिवार वालों के साथ समय बिताने को नहीं मिल पाता है। लेकिन मौजूदा स्थिति में परिवारों को एक दूसरे के करीब आने का मौका दिया है। अब लोगों को दिन के लंबे-लंबे घंटे काटने के लिए साथ में करने को कुछ चाहिए।

आजकल के किशोर जहां पबजी और एनाइम सीरिजों के बीच 90 के दशक के रामायण और महाभारत से अछूते रह गए थे, यह लॉकडाउन उनके लिए इन ऐतिहासिक कार्यक्रमों और किरदारों से जुड़ने का मौका है। साथ ही इस लॉकडाउन में बहुत लोग अपने बीते हुए बचपन के खेलों पिक्शनरी, स्क्रैबल, कैरम, चेस, सांप-सीढ़ी, चाइनीज चेकर्स, जिग-जैग के साथ ही स्क्रीबल औरडूम एटर्नल जैसे ऑनलाइन खेलों के साथ अपना समय बीता रहे हैं।

शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ गांवों में भी इस समय लूडो खेलों का राजा बन बैठा है। और तो और इस खेल का ऑनलाइन संस्करण इसे 90 के दशक के बच्चों का चहेता बना रहा है। लॉकडाउन से पहले लाल-पीला, हरा-नीला वर्गों और सांप-सीढ़ी वाली इसकी दफ्ती वाली लूडो बोर्ड किराने के दुकान की आलमारी के किसी कोने में धूल खा रही थी लेकिन अब उस बोर्ड के भी दिन बदल गए हैं। अब इन्हीं दुकानों पर लूडो की बहुत मांग की जा रही है।

इस बंद के समय लोगों के घरों में कैरम की गोटियों और स्ट्राइकर के टकराने की आवाज सुनने को मिल रही है। वहीं उत्तर प्रदेश के कस्बों में लोग अपने पुराने लकड़ी, कांसे या प्लास्टिक के चेस बोर्ड निकाल रहे हैं ताकि अपने पसंदीदा खेल के साथ धीरे-धीरे चल रही घड़ी की सुइयों को गति दे सकें। इन सब के बीच उनो और रमी जैसे कार्ड गेम भी लोग भरपूर खेल रहे हैं।

डिजिटल इंडिया के जमाने में ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या में भी भारी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। पिक्शनरी का ऑनलाइन संस्करण स्क्रीबल लोगों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है।

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