रमजान में सैकड़ों रोजेदारों को रोजा इफ्तार कराता है हिन्दू परिवार

रमजान में सैकड़ों रोजेदारों को रोजा इफ्तार कराता है हिन्दू परिवार

रोजा इफ्तार की सामग्री.. प्रतीकात्मक चित्र

बलरामपुर/वार्ता। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में एक हिन्दू परिवार पिछले 22 सालों से रहमत और बरकतों के पाक महीने रमजान के दौरान सैकड़ों रोजेदारों को एक साथ बैठकर रोजा इ़फ्तार कराता आ रहा हैं। इस रो़जा इफ्तार में सिख ईसाई, जैन समेत सभी धर्म के लोग शामिल होकर देश की सदियों से चली आ रही गंगा जमनी तहजीब की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए एकता की मशाल को जलाये हुए है।

नगर के प्रसिद्ध दवा व्यवसाई रघुनाथ अग्रवाल पिछले २२ वर्षो से न सिर्फ सैकड़ों मुसलमानों को रोजा इफ्तार कराते हैं बल्कि रमजान के महीने में किसी मरीज के पास दवा के कम पैसे होने पर उसे दवा भी दे देते है। मान्यता है कि इस महीने मे एक नेकी के बदले 70 गुना नेकी (पुण्य) कमाने का मौका मिलता है। रमजान मे अगर कोई किसी गरीब या जरूरतमंद की मदद करे तो उसके बदले मे खुदा उसको 70 गुना नेकी देता है। खुदा की इसी हुक्म को मुस्लिम ही नही तमाम दूसरी कौम के लोग भी मानते है और एक नेकी के बदले 70 गुना नेकी कमाने में लगे रहते है।

जिले के उतरौला में हिन्दू मुस्लिम मिलकर अभिव्यक्ति नाम की एक संस्था चलाते हैं। ये संस्था गरीब और जरूरतमन्दो की मदद के लिये अपनी बाहें फैलाये चुपचाप लोगो की मदद में लगी हुई है। हर बार की तरह इस बार भी संस्था ने उतरौला के सैकड़ों गरीब परिवारो को रमजान किट मुहैया कराकर उनके मायूस चेहरों पर मुस्कान लाने की कोशिश की है। इस किट में पूरे महीने का दाल चावल, आटा, तेल, कप़डा सहित दूसरी अन्य जरूरी सामान शामिल है।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. शेहाब जफर ने बताया कि रमजान के पवित्र महीने में गरीबों की मदद के लिए उनकी संस्था पिछले चार सालो से काम करती आ रही है। इस बार संस्था ने अपने सीमित संसाधनों के जरिये 83 परिवारो को रमजान किट दी है। ये ऐसे परिवार है जिनके घरो मे गरीबी के चलते रोजा खोलने के समय इफ्तारी का इतंजाम नही हो पाता है। रिक्शे पर पत्ते लाद कर गली गली रमजान के महीने में कोई तपती दोपहरी में चक्कर लगा रहा है तो कहीं वृद्ध महिलाएं दो वक्त की रोटी के लिये दरवाजे दरवाजे भटकती फिर रही है।

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