नोटबंदी नहीं होती तो ढह जाती भारत की अर्थव्यवस्था: गुरुमूर्ति

नोटबंदी नहीं होती तो ढह जाती भारत की अर्थव्यवस्था: गुरुमूर्ति

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नई दिल्ली। जानेमाने आर्थिक विश्लेषक और भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल के सदस्य एस. गुरुमूर्ति ने केंद्र सरकार द्वारा नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी को सही ठहराया है। एक कार्यक्रम को बतौर अतिथि संबोधित कर रहे गुरुमूर्ति ने नोटबंदी के फैसले का समर्थन किया और कहा कि यदि सरकार ऐसा न करती तो भविष्य में भारत की अर्थव्यवस्था ढह जाती।

नोटबंदी के दो साल पूरे हो चुके हैं। कांग्रेस सहित विपक्ष के कई नेता इसकी आलोचना कर चुके हैं। वहीं गुरुमूर्ति ने नोटबंदी के फैसले का बचाव कर इसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर बताया है। एस. गुरुमूर्ति ने कहा कि सरकार द्वारा बंद किए गए 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोटों का ज्यादातर इस्तेमाल रियल एस्टेट और सोना खरीदने में होता था।

उठाने पड़ते नुकसान
यहां विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति: भारत और विश्व’ विषय पर व्याख्यान देते समय गुरुमूर्ति ने नोटबंदी को जायज करार देते हुए अमेरिका की अर्थव्यवस्था का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार यह कदम न उठाती तो भारत की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान उठाने पड़ते।

एस. गुरुमूर्ति ने कहा कि नोटबंदी से डेढ़ साल पहले तक 500 और 1,000 रुपए के नोटों का प्रसार 4.8 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया था। ये नोट रियल एस्टेट और सोने की खरीद में इस्तेमाल होते थे। यदि भारत समय पर इन्हें बंद न करता तो उसका हाल भी वर्ष 2008 के अमेरिका जैसा हो जाता। गुरुमूर्ति ने बताया कि उस स्थिति में अमेरिका को ऋण संकट की वजह से भयानक मंदी का सामना करना पड़ा था।

ऐसा था मंदी का दौर
बता दें ​कि अमेरिका के लिए वह बेहद मुश्किल दौर था और उस समय उसकी कई दिग्गज कंपनियां बंद हो गई थीं। गुरुमूर्ति ने नोटबंदी को एक सुधारात्मक कदम बताया है जिससे भारत भविष्य में होने वाले नुकसान से बच गया, अन्यथा देश की अर्थव्यवस्था ढह जाती। गुरुमूर्ति ने नोटबंदी पर कुछ अर्थशास्त्रियों और बुद्धिजीवियों के रुख की आलोचना की और कहा कि उन्होंने सही विचार नहीं रखे।

गुरुमूर्ति ने रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच विवाद पर कहा कि यह ठीक नहीं है। उन्होंने रिजर्व बैंक के आरक्षित भंडारण नियमों में परिवर्तन की बात कही। उन्होंने छोटे और मझोले उद्योगों को आसानी से कर्ज दिए जाने पर जोर दिया।

तब से अब तक
8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि 500 और 1,000 रुपए के नोट बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद देश-विदेश की संस्थाओं का इस पर अलग-अलग रुख रहा है। नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट में भारी इजाफा हुआ। साथ ही करदाताओं की संख्या भी बढ़ी है।

हालां​कि विपक्ष यह आरोप लगाता रहा है कि नोटबंदी के बाद पैदा हुए हालात से उद्योगों को नुकसान पहुंचा और उनके लिए स्थितियां प्रतिकूल होती जा रही हैं। वहीं पिछले दिनों विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया कि भारत अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे में लगातार सुधार कर रहा है और वह कारोबार सुगमता सूची में 23 अंकों की छलांग लगाकर 77वें स्थान पर आ गया है।

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