कांग्रेस अध्यक्ष न बन पाने की नाराजगी में शरद पवार ने छोड़ी थी पार्टी : प्रणब

कांग्रेस अध्यक्ष न बन पाने की नाराजगी में शरद पवार ने छोड़ी थी पार्टी : प्रणब

नई दिल्ली। कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी राकांपा गठित करने वाले पूर्व कांग्रेसी नेता शरद पवार का निर्णय राजनीतिक स्वार्थ और निजी महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित था। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी हाल ही में विमोचित किताब ’द कोएलिशन ईयर्स : 1996-2012’ के तीसरे संस्करण में इस तथ्य का खुलासा किया है।

पवार ने सोनिया गांधी पर उनके इतालवी मूल की होने की वजह से वर्ष 1999 में कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक के दौरान उन पर मौखिक हमला बोला था। कांग्रेस में मराठा क्षत्रप कहे जाने वाले पवार इस बात से नाराज थे कि वाजपेयी सरकार के विश्वासमत खोने के बाद कांग्रेस पार्टी सोनिया गांधी को बतौर प्रधानमंत्री आगे करने का मन बना चुकी थी।

मुखर्जी के मुताबिक, ’मेरी समझ में पवार उस समय लोकसभा में विपक्ष के नेता थे और उम्मीद कर रहे थे कि पार्टी सोनिया गांधी की जगह शरद पवार से सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए कहेगी। सोनिया गांधी ने पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर शरद पवार की जगह पी. शिवशंकर से सलाह लेना शुरू कर दिया था। कहीं न कहीं यही कारण था कि पवार ने सोनिया के इतालवी मूल का मुद्दा उठाया था और पार्टी छोड़कर चले गए थे।’

प्रणब को दी थी बाल ठाकरे से मिलने की सलाह

भारतीय राजनीति की पुरानी यादें संजोने वाली इस किताब के मुताबिक, जिस समय प्रणब देश के राष्ट्रपति पद की दौड़ में सबसे आगे थे, उस समय शरद पवार ने उनको शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से मुलाकात करने का सुझाव दिया था। पवार का कहना था कि भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी राजग का सदस्य होने के बावजूद ठाकरे की पार्टी मुखर्जी को अपना समर्थन दे सकती है। यह बात प्रणब मुखर्जी को जंच गई और उन्होंने ठाकरे से मुलाकात भी की, हालांकि सोनिया गांधी उनके ठाकरे से मिलने के खिलाफ थीं्।

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