पायलट गुट को उच्च न्यायालय से 24 तक मिली राहत

पायलट गुट को उच्च न्यायालय से 24 तक मिली राहत

सचिन पायलट एवं सीएम अशोक गहलोत

जयपुर/दक्षिण भारत/भाषा। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य बागी विधायकों की ओर से दायर रिट याचिका पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने उन्हें 24 जुलाई तक की मोहलत दी है। न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से कहा है कि वे 24 जुलाई तक कोई कार्रवाई न करें। न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है।

बता दें कि इस याचिका में पायलट और इन 18 विधायकों को राज्य विधानसभा अध्यक्ष की ओर से अयोग्य करार देने संबंधी नोटिस जारी करने को चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति प्रकाश गुप्ता ने शुक्रवार को सुनवाई शुरू की और दलीलें सोमवार शाम तक सुनी गईं, लेकिन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका।

इस मामले में मंगलवार सुबह साढ़े दस बजे से फिर से सुनवाई शुरू हुई। अदालत ने सभी पक्षों से दोपहर दो बजे तक अपने लिखित अभ्यावेदन दायर करने को कहा था। पायलट और कांग्रेस के अन्य बागी विधायकों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में अपनी दलीलें पूरी कीं।

बागी विधायकों ने कांग्रेस की प्रदेश इकाई में जारी कलह के बीच शुक्रवार को अदालत का रुख किया था। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बर्खास्त किए गए उपमुख्यमंत्री पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष चल रहा है। पीठ ने सुनवाई के दौरान गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘पब्लिक अगेन्स्ट करप्शन’ (पीएसी) की पक्षकार बनने की याचिका स्वीकार कर ली। एनजीओ ने सोमवार को याचिका दायर की थी।

इस बीच कांग्रेस विधायक दल की बैठक जयपुर के बाहर एक होटल में मंगलवार को आरम्भ हुई। यह पिछले एक सप्ताह में विधायक दल की तीसरी बैठक है। विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सोमवार को दलील दी थी कि याचिका समय से पहले दायर की गई है, क्योंकि सदन से विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने पर फैसला लिया जाना अभी बाकी है।

उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस पर अदालत के हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।सिंघवी ने कहा था कि जहां तक विधानसभा का सवाल है, विधानसभा अध्यक्ष सर्वोच्च होता है और जो नोटिस जारी किए गए हैं, वे विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों के दायरे में है।

विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से पेश हुए एक वकील ने संवाददाताओं को बताया कि मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या विधानसभा अध्यक्ष अयोग्यता के लिए दी गई ऐसी याचिका पर बिना कारण जाने नोटिस जारी करने के लिये बाध्य होता है?सिंघवी ने दलील दी कि कारण जानने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह महज कारण बताओ नोटिस है।

पार्टी व्हिप की अवज्ञा करने को लेकर विधायकों को राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिए पार्टी द्वारा विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत किए जाने के बाद यह नोटिस विधायकों को जारी किया गया था। हालांकि, पायलट खेमे की दलील है कि पार्टी का व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो।

कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत में पायलट और अन्य असंतुष्ट विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है। विधायक सदन में जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व करता है, यदि वह उसकी सदस्यता ‘स्वेच्छा’ से त्याग देता है तो यह प्रावधान उक्त विधायक को अयोग्य करार देता है।

मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ बगावत करने के बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री पद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया जा चुका है।

About The Author: Dakshin Bharat