4 से शुरू होगा पुष्कर मेला, 12 को कार्तिक पूर्णिमा का महास्नान

4 से शुरू होगा पुष्कर मेला, 12 को कार्तिक पूर्णिमा का महास्नान

पुष्कर/एजेन्सी। कार्तिक माह में आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेला को इस बार भी 3 चरणों में बांटा गया है। पशुपालन विभाग की ओर से पशु मेले के पहले चरण का शुभारंभ 28 अक्टूबर को हो गया। मेले का विधिवत शुभारंभ 4 नवंबर को होगा। इसी तरह धार्मिक रूप से मेले की शुरुआत कार्तिक माह की एकादशी को 8 नवंबर से होगी जो 12 नवंबर पूर्णिमा को महास्नान के साथ समाप्त होगी।

मान्यता है कि कार्तिक माह की एकादशी से पूर्णिमा तक 5 दिनों तक सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर में यज्ञ किया था। इस दौरान 33 करोड़ देवी-देवता भी पृथ्वी पर मौजूद रहे। इसी वजह से पुष्कर में कार्तिक माह की एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस माह में सभी देवताओं का वास पुष्कर में होता है। इन्हीं मान्यताओं के चलते पुष्कर मेला लगता है। पुराने समय में श्रद्धालु संसाधनों के अभाव में पशुओं को भी साथ लाते थे। वह धीरे-धीरे पशु मेले के रूप में पहचाना जाने लगा। पुष्कर मेले की तिथि नजदीक आने के साथ ही पुष्कर की मरुभूमि अब आबाद होने लगी है। मेला मैदान के दोनों ओर रेगिस्तान के जहाज ऊंट शोभा बढ़ा रहे हैं। घोड़े भी मेले पहुंचने लगे हैं। पशुपालन विभाग के ताजा आकंड़ों के अनुसार, अब तक विभिन्न प्रजाति के लगभग एक हजार से ज्यादा पशुओं की आमद दर्ज की गई है। पशु मेले की भी विधिवत शुरुआत 4 नवम्बर से होगी लेकिन पशुपालन विभाग की ओर से औपचारिक रूप से मेला 28 अक्टूबर से शुरू हो गया है। पशु पालकों के अस्थाई डेरा जमाने के साथ देशी-विदेशी सैलानियों की भी आवक बढ़ने लगी है। सैलानी ऊंट पर सवार होकर मेला मैदान का रुख कर रहे हैं। मेले में पशुओं की आवक लगातार घटती जा रही है लेकिन धार्मिक मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है।

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