पश्चिमी राजस्थान में वायु एवं सौर ऊर्जा की मदद से जरूरत से ज्यादा उत्पन्न हुई ऊर्जा

पश्चिमी राजस्थान में वायु एवं सौर ऊर्जा की मदद से जरूरत से ज्यादा उत्पन्न हुई ऊर्जा

जैसलमेर/भाषा। पश्चिमी राजस्थान में वैकल्पिक ऊर्जा उत्पादन में बदलाव की बयार बह रही है, जहां वायु एवं सौर ऊर्जा की मदद से लगातार दसवें साल आवश्यकता से अधिक बिजली पैदा हुई। इस पहल के चलते प्रदेश में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में काफी हद तक कमी आई है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जैसलमेर क्षेत्र में पवन ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 3933.52 मेगावॉट है और सौर ऊर्जा का उत्पादन 113 मेगावॉट होता है। अधिकारी ने कहा, पवन चक्कियां औसतन कुल स्थापित क्षमता का 25 से 30 प्रतिशत उत्पादन करती हैं।

उन्होंने कहा कि जैसलमेर में सौर ऊर्जा संयंत्र एवं पवन चक्कियों से उत्पन्न हो रही ऊर्जा औसत ऊर्जा की जरूरत से कहीं ज्यादा है जो 130 मेगावॉट और 140 मेगावॉट के बीच होती है। अधिकारी ने कहा कि इससे ऊर्जा संयंत्रों या गैस टर्बाइन पर निर्भरता कम होती है जो वायु प्रदूषण फैलाते हैं।

पश्चिमी राजस्थान में पवन ऊर्जा उत्पादन जहां 2001-02 में शुरू हुआ था वहीं सौर ऊर्जा को बढ़ावा पांच साल पहले दिया गया था। अधिकारी ने कहा, पिछले 10 वर्षों से क्षेत्र में कोई ऊर्जा भंडारण नहीं किया गया क्योंकि उत्पादन जरूरत से अधिक हो रहा है।

About The Author: Dakshin Bharat