पद्मश्री पाने पर बोले रमजान खान- गौसेवा के कारण मिला यह सम्मान

पद्मश्री पाने पर बोले रमजान खान- गौसेवा के कारण मिला यह सम्मान

रमजान खान

नई दिल्ली/भाषा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत निकाय में नियुक्ति को लेकर मचे विवाद के केंद्र में रहे प्रोफेसर फिरोज खान के पिता भजन गायक रमजान खान उर्फ मुन्ना मास्टर ने पद्मश्री सम्मान को गौसेवा का फ़ल बताया है। कृष्ण और गाय पर भक्ति गीत गाने वाले राजस्थान के मशहूर भजन गायक रमजान खान ने एक इंटरव्यू में कहा, सरकार ने मुझे जो सम्मान दिया, यह गौमाता का, गौभक्तों का और देशवासियों का सम्मान है। यह सम्मान मुझे गौसेवा के कारण मिला। हर व्यक्ति को गौसेवा करनी चाहिए।

मुन्ना मास्टर के नाम से लोकप्रिय खान ने कहा, यह जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मेरे लिए, परिवार के लिए, दोस्तों के लिए। हमें कोई आभास ही नहीं था और न इसके लिए कोई प्रयास किया था। ऐसा कभी विचार भी नहीं आया कि ऐसा कोई सम्मान मिलना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा तहसील स्तर का सम्मान मिल सकता था। उन्होंने फिरोज के मामले को अतीत की बात बताते हुए कहा कि शुरुआत में वह दुखी थे लेकिन उनकी आस्था कभी कम नहीं हुई।

उन्होंने कहा, मैं फिरोज के मामले में शुरू में आहत हो गया था और कह दिया था कि इसे मैंने संस्कृत क्यों पढ़ाई। वह मामला एक आघात की तरह था और मैंने कुंठित होकर कह दिया था। लेकिन बाद में मुझे पश्चाताप हुआ कि संस्कृत के लिए मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था। खान ने कहा, मैं संस्कृत और मंदिर से जुड़ा हूं। मैंने पूरी तरह से भारतीय संस्कृति को आत्मसात किया है। मैने कालिदास, बाणभट्ट के ग्रंथ पढे़ तो बड़ी खुशी हुई। यह अद्भुत और विलक्षण ज्ञान था। मैने बच्चों का भी वहीं दाखिला कराया। उन्होंने भी संस्कृत पढ़ी।

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यह पूछने पर कि इस सम्मान से क्या अब उन जख्मों पर मरहम लगेगा, खान ने कहा, मुझे उस समय भी इतना बड़ा विषाद नहीं था। यह सब चलता रहता है। हम आस्थावान आदमी हैं। हमेशा ईश्वर और गौमाता पर भरोसा किया और समस्या का स्वत: ही समाधान हो गया। भजन गायकी की शुरुआत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, यह हमारा पारंपरिक काम है। मेरे पिता बहुत अच्छे संगीतकार और साहित्य के ज्ञाता थे। वे तुलसी की विनयपत्रिका और सूरदास के सूर सागर के भजन गाते थे। वे संगीत के विशारद थे और मैं उनके साथ बचपन से गाता था। मुझे भी सारे भजन याद हो गए।

खान ने कहा कि मंदिर से जुड़े रहने के कारण गौसेवा के संस्कार स्वत: मिले। यह पूछने पर कि इस राह में कोई मजहबी दिक्कत नहीं आई, उन्होंने ना में जवाब दिया। उन्होंने कहा, मेरे पिता भी तो भजन गाते थे। परेशानी तो तब होती जब मेरे पिता ऐसे नहीं होते और मुझे रोकते। समाज में भी ऐसा कुछ नहीं है। कितने ही मुसलमान कलाकारों ने भजन गाए हैं, मैं कोई अकेला नहीं हूं।

देश के मौजूदा माहौल के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ऐसा कोई माध्यम होना चाहिए कि हर धर्म का व्यक्ति एक जगह आए और विचारों का आदान-प्रदान करे। आपसी सद्भाव स्थापित हो ताकि गंगा-जमुनी संस्कृति सिर्फ बोलने भर की नहीं रहे। सम्मान से जीवन में आए बदलाव के बारे में पूछने पर खान ने कहा कि वह अपने काम में सतत लगे रहेंगे। उन्होंने कहा, आगे भी गौसेवा करते रहना चाहता हूं। निरंतर जागरूकता फैलाता रहूंगा। गोहत्या पर रोक के लिए प्रयास जारी रहेंगे और लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।

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