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इस राज्य में आरटीआई मामलों में नया प्रयोग; वीडियो कॉल पर सुनवाई, वॉट्सएप पर आदेश

इस राज्य में आरटीआई मामलों में नया प्रयोग; वीडियो कॉल पर सुनवाई, वॉट्सएप पर आदेश
इस राज्य में आरटीआई मामलों में नया प्रयोग; वीडियो कॉल पर सुनवाई, वॉट्सएप पर आदेश

प्रतीकात्मक चित्र। फोटो स्रोत: PixaBay

भोपाल/भाषा। कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के मामलों में लोगों के आवागमन को कम करने के लिए नया प्रयोग करते हुए मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने पहली बार मोबाइल फोन के जरिए वीडियो कॉल पर लंबित मामलों की सुनवाई शुरू की है और सुने गए मामलों में आदेश भी दो घंटे के भीतर वॉट्सएप पर भेज रहे हैं।

तिवारी ने मंगलवार को बताया, ‘मध्यप्रदेश में आरटीआई के करीब 7,000 मामले लंबित हैं और हर महीने औसतन 400 नई अपील आती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन के चलते दो महीने सुनवाई नहीं हो पाईं। यातायात के अब भी पूरी तरह बहाल होने के आसार नहीं हैं। लोगों में बाहर जाने का डर बाद में भी बना रहेगा। इसी वजह से आयोग ने इस नए प्रयोग की शुरुआत करते हुए पहली बार मोबाइल फोन के जरिए वीडियो कॉल पर लंबित मामलों की सुनवाई शुरू की है। इससे सुनवाई के लिए लंबी यात्रा का समय और खर्च दोनों ही बचाए जा सकते हैं।’

तिवारी ने बताया, ‘सोमवार को प्रयोग के तौर पर सुने गए मामलों के आदेश भी दो घंटे के भीतर वॉट्सएप पर भेजे गए। उमरिया के एक प्रकरण में तो आदेश पहुंचने के पहले ही आवेदक को जानकारी मिल गई।’ उन्होंने कहा कि लोक सूचना अधिकारियों को यह हिदायत दी गई है कि जितना संभव हो आवागमन से बचने के लिए मामलों को फौरन निपटाएं। मांगी गई जानकारियां दें। आवेदकों से भी कहा गया है कि वे मांगी गई जानकारी लें, प्रकरणों को लंबा न खींचें।

तिवारी ने बताया कि आयोग में वीडियो कॉन्फ्रेंस की सीमित सुविधा को देखते हुए यह संभव नहीं था कि यह नियमित हो सके। इसलिए पहली बार मोबाइल पर वीडियो कॉल के जरिए दूर के दो जिलों उमरिया और शहडोल की लंबित अपीलों पर सुनवाई की गई।

उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत आवेदन देने वालों और उनके विभागों के लोक सूचना अधिकारियों को सबसे पहले इसके लिए तैयार किया गया। दोनों पक्षों की सहमति मिलने के बाद वॉट्सएप पर ही उन्हें सुनवाई का सूचना पत्र दिया गया।

तिवारी ने बताया, ‘सोमवार को पहले दो मामलों का सुनवाई के बाद निराकरण किया गया और इसका फैसला भी हाथों-हाथ वॉट्सएप के जरिए भेजा गया, जो उन्हें बाद में डाक से भी मिलेगा।’ उन्होंने कहा कि उमरिया के आवेदक शशिकांत सिंह ने शिक्षा विभाग में एक ही बिंदु पर शिक्षकों के रिक्त पदों की जानकारी अक्टूबर 2019 में मांगी थी, जो 30 दिन की समय सीमा में उन्हें नहीं दी गई। आज की सुनवाई में लोक सूचना अधिकारी उमेश धुर्वे को तत्काल यह जानकारी देने का आदेश किया गया। दोपहर बाद आदेश की प्रति वॉट्सएप पर भेजी गई।

तिवारी ने बताया कि शहडोल के निवासी जगदीश प्रसाद ने शिक्षा विभाग से नवंबर 2019 में तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। यह निजी स्कूलों की मान्यता और शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता से संबंधित जानकारी थी। प्रथम अपील अधिकारी के आदेश का भी इसमें पालन नहीं किया गया था। दो बिंदुओं से संबंधित दस्तावेज सुनवाई के दौरान ही उपलब्ध कराए गए। लेकिन आवेदक ने कहा के वे एकसाथ पूरी जानकारी लेना चाहेंगे। आयोग ने आदेश दिया कि एक महीने के भीतर पूरी जानकारी दी जाए।

उन्होंने कहा, ‘स्मार्ट फोन सबके पास हैं। लगभग सभी सोशल मीडिया के उपयोगकर्ता हैं। आपात स्थिति में वॉट्सएप एक आसान विकल्प है। वीडियो कॉल पर सुनवाई का पहला अनुभव आशाजनक है। लोक सूचना अधिकारियों को आदेशित किया गया है कि वे लंबित मामलों को निपटाएं। सुनवाई का इंतजार ही न करें। मुझे खुशी है कि लोक सूचना अधिकारियों ने पूरी तैयारी के साथ सुनवाई में हिस्सा लिया।’

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