वसीम रिजवी ने जमातियों से कोरोना संक्रमण बढ़ने पर मौलाना साद को बताया जिम्मेदार

वसीम रिजवी ने जमातियों से कोरोना संक्रमण बढ़ने पर मौलाना साद को बताया जिम्मेदार

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी

ईरान के मुस्लिम धर्मगुरु से मंगवाया फतवा- बीमारी फैलाने वाले से हो वसूली

नई दिल्ली/लखनऊ/दक्षिण भारत। राष्ट्रीय राजधानी में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेने के बाद उसके कई सदस्य कोरोना संक्रमित पाए गए। अब भी कई जमाती सामने नहीं आए हैं और प्रशासन उनकी तलाश में जुटा है। ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इन सबके बीच देशभर में अनेक लोगों ने मांग की है कि निजामुद्दीन मरकज के मौलाना मोहम्मद साद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने भी इससे सहमति जताई है। उन्होंने ईरान से एक फतवा मंगवाया है जिसमें यह कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी बीमारी को फैलाएगा तो उसका खर्च उससे ही वसूला जाना चाहिए। ईरान के 93 वर्षीय वरिष्ठ धर्मगुरु आयातुल्लाह नासिर मकर्रिम शिराजी ने इस फतवे में कहा है कि यदि इस बीमारी से कोई व्यक्ति अपने प्राण गंवाता है तो उसका उत्तरदायी वह व्यक्ति ही होगा जिसने यह बीमारी फैलाई थी।

वसीम रिजवी भारत में कोरोना के मामलों में यकायक उछाल के लिए मौलाना साद को जिम्मेदार बताते हैं। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना महामारी से जंग जारी थी, लेकिन मौलाना साद की ‘साजिश’ से यह बीमारी दोगुनी तेजी से फैल गई। उन्होंने दावा किया कि शरीयत और कानून दोनों के तहत तबलीगी जमात इस बीमारी को फैलाने के लिए जिम्मेदार है, लिहाजा उसके पूरे खर्च की वसूली मौलाना साद से होनी चाहिए।

वसीम रिजवी ने कहा कि कोरोना संक्रमण की वजह से ​तबलीगी जमातियों अथवा उनके कारण दूसरे लोगों की मौत के लिए भी मौलाना साद को जिम्मेदार माना जाए। इस प्रकार कानून के तहत मौलाना के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो।

इसके अलावा, वसीम रिजवी ने कोरोना वायरस की वजह से जान गंवाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार के संबंध में भी केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर किसी मुस्लिम शख्स की कोरोना के कारण मौत हो तो उसका दाह संस्कार किया जाए। फिर उसकी भस्म परिवार को सौंपी जाए। भस्म को परिवार कब्रिस्तान में दफन कर सकता है।

वसीम रिजवी ने कहा कि इस समय हमें धार्मिक रीति-रिवाज़ों से ऊपर उठकर सोचना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि यदि ऐसे किसी दिवंगत शख्स की देह को परंपरा के अनुसार दफनाया जाता है तो कई खतरे हो सकते हैं। इससे देह को स्नान कराने वाले और दफनाने वाले लोग भी कोरोना की चपेट में आ सकते हैं।

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