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प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-जापान संवाद कॉन्फ्रेंस में विश्वशांति और संवाद का किया आह्वान

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-जापान संवाद कॉन्फ्रेंस में विश्वशांति और संवाद का किया आह्वान
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-जापान संवाद कॉन्फ्रेंस में विश्वशांति और संवाद का किया आह्वान

भारत-जापान संवाद कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत-जापान संवाद कॉन्फ्रेंस को संबोधित​ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस यात्रा में, संवाद अपने मूल उद्देश्यों के लिए सही रहा है जिसमें शामिल हैं: बातचीत और बहस को प्रोत्साहित करना। हमारे साझा मूल्यों को उजागर करना। अध्यात्म और विद्वानों के आदान-प्रदान की हमारी प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ाना।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे आज के कार्य आने वाले समय में संवाद को आकार देंगे। यह दशक उन समाजों का होगा जो एक साथ सीखने और नवाचार करने को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पुस्तकालय न केवल साहित्य का भंडार होगा, बल्कि यह शोध और संवाद का भी एक मंच होगा – मनुष्यों के बीच, समाजों के बीच, और मनुष्यों व प्रकृति के बीच एक सच्चा संवाद।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज, मैं पारंपरिक बौद्ध साहित्य और शास्त्रों के साथ एक पुस्तकालय के निर्माण का प्रस्ताव करना चाहूंगा। हम भारत में इस तरह की सुविधा का निर्माण करने में प्रसन्न होंगे और इसके लिए उपयुक्त संसाधन उपलब्ध कराएंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत में, मानवता ने अक्सर सहयोग के बजाय टकराव का रास्ता अपनाया। साम्राज्यवाद से लेकर विश्वयुद्ध तक। हथियारों की दौड़ से लेकर अंतरिक्ष की दौड़ तक। हमने संवाद किया लेकिन वे दूसरों को नीचे खींचने के उद्देश्य से थे। अब, आइए हम एकसाथ उठें।

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