Dakshin Bharat Rashtramat

कला से दूसरों की भावना आहत न हो : नायडू

कला से दूसरों की भावना आहत न हो : नायडू

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम़ वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि संस्कृति का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है और वह सभी तरह की कलाओं एवं जीवन मूल्यों की अभिव्यक्ति होती है लेकिन कला ऐसी होनी चाहिए कि वह दूसरों की भावनाओं को आहत न करे, बल्कि सबको खुशियां दे तथा समाज में सद्भाव कायम करे। नायडू ने रविवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के परिसर में प्रथम अंतरराष्ट्रीय कला मेले का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। इस मेले में देश विदेश के ३५४ स्टाल लगाए गए हैं और एक ह़जार से अधिक कलाकार इसमें भाग ले रहे हैं। इस मेले में ब्रिटेन, फ्रांस, श्रीलंका, बांग्लादेश, पोलैंड, फिजी, त्रिनिदाद, पेरू, ब्राजील, मेक्सिको आदि देश भी भाग ले रहे हैं।उपराष्ट्रपति ने भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि का जिक्र करते हुए कहा कि कलाओं की हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है और अपने देश में नृत्य, संगीत, साहित्य, चित्रकला, नाटक एवं फिल्म, मूर्तिकला के विविध रूप मौजूद हैं और यही हमारी अनेकता में एकता है। कला हमारी संस्कृति का प्रतीक है और कलाकार हमें जीवन में उतसाह एवं प्रेरणा प्रदान करता है, उन्होंने कहा कि संस्कृति का धर्म से कोई लेना देना नहीं, क्योंकि वह तो जीवन पद्धति है लेकिन कला को अभिव्यक्त करते समय इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वह दूसरों की भावनाओं को आहत न करे। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उधृत करते हुए कहा कि राष्ट्र की संस्कृति जनता के हृदय में रहती है और वह उसकी सभ्यता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि संस्कृति को इस एक वाक्य में समझा जा सकता है कि ’’रोटी खाना हमारी प्रकृति है। दूसरों की रोटी छीनना विकृति तथा भूखे को रोटी देना संस्कृति है।’’ संस्कृति मंत्री डॉ. महेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि हाथ से जो लोग काम करते हैं, वे मजदूर होते हैं। दिमाग से काम करने वाले इंजीनियर होते हैं और जो दिल से कम लेते हैं वे कलाकार होते हैं। भारत वैसे ही संस्कृति के क्षेत्र में समृद्ध देश है। कला का काम चिंतन एवं ध्यान लगाना भी होता हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अपने देश में हर सौ किलोमीटर पर भाषा, वेश भूषा, खानपान सब कुछ बदल जाता है फिर भी हम देश हैं। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ’’एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ का नारा दिया है। उनका सपना सबको एक सूत्र में बांधना है। उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्रालय ने देश भर के कलाकारों का एक पोर्टल बनाया है और अब तक एक करो़ड सत्रह लाख लोग पंजीकृत हो चुके हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस मेले से हम पूरे विश्व में अपनी संस्कृति की महक ले जाएंगे।

About The Author: Dakshin Bharat

Dakshin Bharat  Picture