नई दिल्ली। अवैध रूप में भारत में प्रवेश करने वाले रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करने तथा उनको उनके देश वापस भेजने के केन्द्र के रुख का समर्थन करते हुए उच्चतम न्यायालय में, एक नई याचिका दायर की गई है। केन्द्र ने भारत में अवैध रूप से रह रहे करीब ४०,००० रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान कर उन्हें वापस म्यांमार भेजने की बात न्यायालय में कही थी। संभवत: नई याचिका पर सुनवाई स्वदेश भेजे जाने के खिलाफ दो रोहिंग्या मुसलमानों की ओर से दायर जनहित याचिका के साथ ही होगी। दोनों जनहित याचिकाओं पर सुनवाई तीन अक्टूबर को होने की संभावना है। वकील एवं भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय का कहना है कि न्यायालय की रजिस्ट्री में उनकी याचिका स्वीकार हो गई है और पहले से तय तारीख पर उसकी सुनवाई होगी। याचिका में कहा गया है, ब़डी संख्या में आने वाले अवैध आव्रजकों ने, विशेष रूप से म्यांमार और बांग्लादेश से आने वालों ने, ना सिर्फ सीमावर्ती जिलों की जनांकिकी के लिए खतरा पैदा किया है बल्कि वर्तमान स्थिति में सुरक्षा और राष्ट्रीय एकीकरण के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न किया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि एजेंटों और दलालों के माध्यम से बेहद संगठित तरीके से म्यांमार से अवैध आव्रजकों को लाया जा रहा है।याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह केन्द्र को निर्देश दे कि वह बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्या सहित सभी अवैध आव्रजकों और घुसपैठियों की पहचान करे, उन्हें हिरासत में ले और उनके देश भेजे।
अवैध रोहिंग्या को वापस भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में ताजा याचिका
अवैध रोहिंग्या को वापस भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में ताजा याचिका