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पनामा पेपर्स मामले में रमन पर हो कार्रवाई : जोगी

पनामा पेपर्स मामले में रमन पर हो कार्रवाई : जोगी

नई दिल्ली। छत्तीसग़ढ के पूर्व मुख्यमंत्री तथा छत्तीसग़ढ जनता कांग्रेस के अध्यक्ष अजित जोगी ने मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुंहदेखी कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह का पनामा पेपर्स में नाम आने के बावजूद केंद्र सरकार उन पर कार्रवाई नहीं कर रही है।जोगी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने पनामा पेपर्स की जांच के लिए एक टीम बनाई थी और टीम ने जो सबूत जुटाए हैं उसके अनुसार अभिषेक की वर्जिन ब्रिटिश आइलैंड एक सेल कंपनी है। साथ ही उनके (अभिषेक) और सिंह के करो़डों रुपए वर्जिन ब्रिटिश आइलैंड और स्विस बैंकों में जमा हैं। राज्य में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं और इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने चुनाव का बिगुल बजा दिया है। जोगी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से संबद्ध होने के कारण सिंह और अभिषेक के खिलाफ जांच नहीं हो रही है। दोनों ने शेयरकॉर्प नामक कंपनी के माध्यम से स्विटजरलैंड के यूएसबी एजी नामक बैंक में अपना कालाधन जमा कराया है। उन्होंने कहा कि शेयरकॉर्प वही कंपनी है जिसके माध्यम से विजय माल्या ने अपना पैसा विदेश भेजा था। सिंह और उनके पुत्र पर दूसरा आरोप जोगी ने यह लगाया है कि उन्होंने इटली की कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से हेलीकॉप्टर खरीदने में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करते हुए नियमों का उल्लंघन कर १५.७ लाख डॉलर (करीब ९.५ करो़ड रुपए) का घोटाला किया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसग़ढ सरकार ने वर्ष २००८ में अगस्ता वेस्टलैंड से एक हेलिकॉप्टर खरीदा था। इसके लिए राज्य सरकार ने शार्प ओशन नामक कंपनी को आधिकारिक कमीशन एजेंट नियुक्त किया था जबकि वर्ष १९८५ में ही ऐसे सौदों के लिए कमीशन एजेंट की नियुक्ति को गैर-कानूनी बना दिया गया था। दिलचस्प तथ्य यह है कि तीन जुलाई २००८ को अभिषेक ने क्वेस्ट हाइट्स नाम से एक कंपनी खोली जिसमें शार्प ओशन ने सारा पैसा स्थानांतरित कर दिया। इसके बाद शार्प ओशन बंद हो गई। जोगी ने दावा किया है कि क्वेस्ट हाइट्स का पता भी सिंह के निजी निवास स्थान का है। उन्होंने आरोप लगाया किया कि दोनों पिता-पुत्र का सारा काला धन स्विस बैंक और वर्जिन आइलैंड में वर्ष २००८ में ही जमा कराया गया है। उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, उनके परिवार और बीजू जनता दल के सांसद बैजंत पांडा के वित्तीय संबंधों की जांच की भी मांग की और कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में चिंदबरम के नेतृत्व में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा दी गई निवेश की सभी स्वीकृतियों की जांच की जानी चाहिए।

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