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सुशील कुमार के मामले का जिक्र कर स्वामी का अमर्त्य सेन पर निशाना- वापस लिया जाए भारत रत्न

सुशील कुमार के मामले का जिक्र कर स्वामी का अमर्त्य सेन पर निशाना- वापस लिया जाए भारत रत्न
सुशील कुमार के मामले का जिक्र कर स्वामी का अमर्त्य सेन पर निशाना- वापस लिया जाए भारत रत्न

वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी। फोटो स्रोत: ट्विटर अकाउंट।

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। हत्या मामले के आरोपी पहलवान सुशील कुमार से पद्मश्री सम्मान वापस लिए जाने की चर्चा के बीच वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मांग की है कि नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन से भी ‘भारत रत्न’ वापस लिया जाना चाहिए।

इसके पीछे स्वामी तर्क देते हैं कि हत्यारोपी होने पर सुशील कुमार से पद्मश्री लिया जा सकता है तो भ्रष्टाचार के आरोपी अमर्त्य सेन पर क्यों नरमी बरती जाए। दरसअल स्वामी ने यह टिप्पणी सुशील कुमार पर हत्या के आरोपों के संबंध में की है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘अगर ऐसा है तो सोनिया गांधी के कहने पर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा अमर्त्य सेन को दिया गया भारत रत्न पुरस्कार भी वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने ‘भ्रष्टाचार’ किया है जो सीएजी और डॉ. कलाम की रिपोर्ट में दर्ज है।’

स्वामी ने एक समाचार पत्र के ट्वीट में जवाब दिया, ‘क्या सुशील कुमार को अपना पद्म सम्मान गंवाना पड़ेगा? सरकार सोच-समझकर फैसला लेगी।’

बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी जिस मामले का जिक्र कर रहे हैं, वह नालंदा विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार से संबंधित है। स्वामी पूर्व में भी इस मामले को उठाते रहे हैं। उनके मुताबिक, इसमें भ्रष्टाचार हुआ, करदाताओं के 3,000 करोड़ रुपए का अपव्यय हुआ, तब प्रो. सेन इसके कुलाधिपति थे। स्वामी इस मामले को लेकर निशाना साधते रहे हैं।

स्वामी के अनुसार, डॉ. कलाम ने साल 2011 में दुखद रूप से विवि​ से इस्तीफा दिया था। स्वामी की मानें तो कलाम ने सेन की ‘मनमानी’ और ‘दुर्भावनापूर्ण’ कार्यों का विरोध किया ​था। दावे के अनुसार, प्रो. सेन को वार्षिक वेतन के तौर पर 50 लाख रुपए मिलते थे लेकिन वे अमेरिका रहते, बहुत कम भारत आते थे।

हालांकि, स्वामी द्वारा नालंदा विवि के बारे में अप्रैल 2017 में लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि विवि के खातों का ऑडिट सीएजी व विदेश मंत्रालय ने किया। विदेश मंत्रालय को विवि में गड़बड़ी की शिकायतें मिली थीं। विश्वविद्यालय ने आरोपों को झूठा, निराधार बताया था।

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