विधानसभा चुनाव: बंगाल में तृणमूल कांग्रेस आगे, तमिलनाडु में द्रमुक, असम में भाजपा को बढ़त

विधानसभा चुनाव: बंगाल में तृणमूल कांग्रेस आगे, तमिलनाडु में द्रमुक, असम में भाजपा को बढ़त

चुनाव आयोग की वेबसाइट से लिया गया एक चित्र।

नई दिल्ली/भाषा। चार राज्यों और केंद्र शासित पुडुचेरी में शुरुआती चरणों की मतगणना से मिल रहे रुझानों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने अपने निकटमत प्रतिद्वंद्वी भाजपा पर बढ़त हासिल कर ली है जबकि तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) 10 सालों से राज्य में शासन कर रही ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) पर बढ़त बनाए हुए है।

अब तक के रुझानों के अनुसार, असम में भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) बढ़त बनाये हुए है लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन भी बहुत पीछे नहीं है। रुझानों के मुताबिक वहां राजग 22 सीटों पर जबकि कांग्रेस गठबंधन 15 सीटों पर आगे है।

केरल की 140 सदस्यीय विधानसभा में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) को शुरुआती रुझानों में खासी बढ़त मिल गई है। वह 75 सीटों पर आगे है जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) 56 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।

निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के मुताबिक पश्चिम बंगाल की 292 में से प्राप्त 172 सीटों के शुरुआती रुझानों में तृणमूल कांग्रेस ने 112 सीटों पर बढ़त हासिल कर ली थी जबकि भाजपा 58 विधानसभा सीटों पर आगे चल रही है।

वाम दल, कांग्रेस और इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) का गठबंधन महज तीन सीटों पर बढ़त हासिल कर सका है। दो चरणों की गिनती के बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वी शुभेंदु अधिकारी से नंदीग्राम सीट पर 3,460 मतों से पीछे चल रही हैं।

सिंगूर सीट पर, तृणमूल कांग्रेस के मंत्री एवं प्रत्याशी बेचाराम मन्ना पहले चरण की गिनती के बाद अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के रबिंद्रनाथ भट्टाचार्य से आगे चल रहे हैं। भवानीपुर से टीएमसी के प्रत्याशी, शोभनदेब चट्टोपाध्याय आगे चल रहे हैं और कोलकाता पोर्ट निर्वाचन क्षेत्र से फरहाद हाकिम भी आगे चल रहे हैं।

भवानीपुर सीट ममता बनर्जी ने छोड़ी थी। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सत्ता की हैट्रिक के लिए संघर्ष कर रही हैं वहीं भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में प्रचार अभियान की कमान संभाल उन्हें सौंप कर,सत्ता से बेदखल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा सिर्फ तीन ही सीटें जीत सकी थी जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उसने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की 42 में से 18 सीटों पर जीत हासिल की।

तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए जारी मतगणना के शुरुआती रुझान में द्रमुक ने बढ़त बना ली है और सत्तारूढ अन्नाद्रमुक उससे पीछे है। विधानसभा चुनाव के लिए छह अप्रैल को मतदान हुआ था। रविवार सुबह शुरू हुई मतगणना के करीब एक घंटे बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी सेलम जिले की एडाप्पडी सीट पर आगे चल रहे हैं और विपक्ष के नेता एवं द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन कोलाथुर विधानसभा सीट पर बढ़त बनाए हुए हैं।

द्रमुक नीत गठबंधन 76 और अन्नाद्रमुक 68 सीटों पर आगे है। रुझानों के अनुसार द्रमुक कुरिंजीपड़ी, नेयवेली, विरुधचलम समेत कई सीटों पर आगे है। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष एल मुरुगन धारापुरम और राज्य के मंत्री के सी वीरामणि एवं बेंजामिन क्रमश: जोलारपेट और मादुरावोयल सीटों पर आगे हैं।

तमिलनाडु की द्रविड़ राजनीति में इस बार का विधानसभा चुनाव पहला ऐसा मौका था जब जे जयललिता और एम करुणानिधि नहीं थे। पिछले विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक ने इतिहास रचते हुए सत्ता में वापसी की थी।

केरल में शुरुआती रुझानों में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले सत्ताधारी वाम लोकतांत्रिक मोर्चा गठबंधन (एलडीएफ) को राज्य की 140 में से 75 सीटों पर बढ़त हासिल हुई है जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) 56 सीटों पर आगे है।

शुरुआती रुझानों से संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पलक्कड़ की दो सीटों पर आगे है। इनमें एक सीट नेमोन है जहां से ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरण चुनावी मैदान में हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में पूरे केरल में भाजपा को सिर्फ नेमोन में ही जीत मिली थी।

मुख्यमंत्री पिनरई विजयन, स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा, पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी, विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला अपनी-अपनी सीटों पर आगे चल रहे हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के सुरेंद्रन कोन्नी और मंजेश्वरम से पीछे चल रहे हैं। उन्होंने दोनों सीटों से चुनाव लड़ा था।

केरल की राजनीति में सत्ता हमेशा एलडीएफ और यूडीएफ के ही इर्दगिर्द घूमती रही है। बारी-बारी से दोनों गठबंधन सत्ता पर काबिज होते रहे हैं। एलडीएफ यदि सत्ता बचाने में सफल रहती है तो राज्य की यह परंपरा जरूर टूटेगी।

असम में उपलब्ध शुरुआती रुझानों के मुताबिक सत्तारूढ़ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) 22 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इनमें से 16 सीटों पर भाजपा के और छह सीटों पर अगप के उम्मीवार आगे चल रहे हैं।

कांग्रेस 14 सीटों पर जबकि बदरूद्दीन अजमल के नेतृत्व वाला ऑल इंडिया युनाईटेड डेमोक्रेटिक फंट (एआईयूडीएफ) सिर्फ एक सीट पर आगे चल रही है। नव गठित असम जातीय परिषद-रायजोर दल गठबंधन विधानसभा की चार सीटों पर आगे चल रहा है।

रायजोर दल के प्रमुख एवं जेल में बंद सीएए विरोधी प्रदर्शनों के अगुआ अखिल गोगोई सिबसागर सीट से आगे चल रहे हैं। मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्व सरमा और एजीपी प्रमुख एवं मंत्री अतुल बोरा क्रमश: माजुली, जालुकबारी और बोकाखत से आगे चल रहे हैं।

कांग्रेस विधायक दल के प्रमुख देबब्रत साइकिया और उनके सहायक रकीबुल हुसैन क्रमश: नाजिरा और समागुरी से पीछे चल रहे हैं। असम में विधानसभा की 126 सीटें हैं और बहुमत के लिए 64 सीटों की जरूरत है।

मतदान बाद के सर्वेक्षणों में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला दर्शाया गया था और अनुमान लगाया गया था कि यहां किसी की भी सरकार बन सकती है।

इन सर्वेक्षणों में तमिलनाडु में द्रमुक की वापसी और असम में भाजपा के सत्ता में बने रहने का अनुमान लगाया गया था। चारों राज्यों और पुडुचेरी में इससे पहले भारी सुरक्षा और कोविड-19 से बचाव के सभी उपायों का अनुपालन करते मतगणना आरंभ हुई। लगभग 1100 मतदान पर्यवेक्षक मतगणना प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच आठ चरणों में जबकि असम में तीन चरणों में मतदान संपन्न हुआ था। तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में एक ही चरण में मतदान हुए थे।

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