नई दिल्ली/भाषा। लोकसभा में मंगलवार को कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर कर्नाटक में जद (एस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार को सत्ता से हटाने के लिए षड्यंत्र रचने और शिकार की राजनीति करने का आरोप लगाया जिसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खारिज कर दिया और इसे कांग्रेस के घर की समस्या बताया। लोकसभा में कांग्रेस और द्रमुक ने इस विषय पर आसन के समीप आकर नारेबाजी की और सदन से वाकआउट भी किया।
निचले सदन में शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कर्नाटक का क्या हाल है, यह सभी के सामने स्पष्ट है। केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से ‘शिकार की राजनीति’ की जा रही है। उन्होंने कहा, आज कर्नाटक में ऐसा हो रहा है, कल मध्यप्रदेश में ऐसा हो सकता है… यह ठीक नहीं है। पैसा और बाहुबल का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा, शिकार की राजनीति लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे ही जवाब देने के लिए उठे, वैसे ही कांग्रेस और द्रमुक ने सदन से वाकआउट किया।राजनाथ सिंह ने कहा कि आपने (लोकसभा अध्यक्ष ने) सदाशयता का परिचय देते हुए उन्हें (कांग्रेस नेता को) बोलने का मौका दिया लेकिन उन्होंने इसका दुरुपयोग किया।
उन्होंने कहा, कर्नाटक की समस्या उनके अपने घर की समस्या है जिसे वे ठीक नहीं कर पा रहे हैं। वे निचले सदन को बाधित कर रहे हैं। इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है। इससे पहले कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि कर्नाटक में स्थिति ऐसी हो गई है कि राजभवन से निकले तो गाड़ी तैयार, विमान तैयार है, होटल तैयार है। केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के लोग कह रहे हैं कि अब मध्यप्रदेश की बारी आने वाली है।
उन्होंने कहा, शिकार की राजनीति लोकतंत्र के लिए खतरा है। केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की नीति और नीयत पर से भरोसा उठ गया है। इससे पहले शून्यकाल शुरू होने पर कांग्रेस सदस्य कर्नाटक के विषय को उठाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने कार्यस्थगन प्रस्ताव भी दिया था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कांग्रेस सदस्यों को कल भी इस विषय को उठाने का मौका दिया गया था। इस बारे में कार्यस्थगन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया है।
इस पर कांग्रेस सदस्य अपने स्थान से ही नारेबाजी करने लगे। कुछ देर बाद कांग्रेस सदस्य आसन के पास आकर नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस सदस्यों के साथ द्रमुक सदस्य भी आसन के समीप आकर नारेबाजी कर रहे थे। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी सदन में मौजूद थीं। राहुल गांधी को भी अपने स्थान पर बैठकर ‘वी वांट जस्टिस (हमें न्याय चाहिए)’ कहते सुना गया।
स्पीकर ओम बिरला ने शोर-शराबा कर रहे सदस्यों ने कहा कि सभी को सदन की गरिमा और मर्यादा को बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सदन सभी का है। इसे नारेबाजी से तख्तेबाजी तक ले जाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सदन में वाद-विवाद करें, संवाद करें, चर्चा करें लेकिन नारेबाजी और तख्ती लेकर आना बंद होना चाहिए।
बिरला ने कहा कि उन्होंने सदस्यों को बिना बारी भी बोलने की अनुमति दी है। सदन को नगर निगम जैसा बनाना ठीक नहीं है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि नियम में यह स्पष्ट है कि अगर किसी विषय पर चर्चा हो चुकी है तब उस पर फिर चर्चा नहीं हो सकती है। इस विषय (कर्नाटक) को उठाया जा चुका है, रक्षा मंत्री जवाब दे चुके हैं।
जोशी ने कहा कि कर्नाटक के मुद्दे से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। यह राहुल गांधी के इस्तीफा देने के आह्वान के कारण हो रहा है। सदन में महत्वपूर्ण विधेयक आने हैं, चर्चा होनी है। यह पहला सत्र है और इस तरह से इसे बाधित करना ठीक नहीं है।
गौरतलब है कि कर्नाटक में जद (एस)-कांग्रेस सरकार गठबंधन के 13 विधायकों द्वारा राज्य विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय को इस्तीफा सौंपने के बाद प्रदेश सरकार संकट का सामना कर रही है। सत्ताधारी गठबंधन के पास 224 सदस्यीय विधानसभा में 118 विधायक हैं और अगर इनका इस्तीफा स्वीकार हो जाता है तब सरकार के गिरने का खतरा है।