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नरेंद्र मोदी की 5 खूबियां जिनकी बदौलत वे बने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री

नरेंद्र मोदी की 5 खूबियां जिनकी बदौलत वे बने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री

pm narendra modi

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि आप उन्हें पसंद या नापसंद कर सकते हैं, लेकिन नज़रअंदाज नहीं कर सकते। आज (17 सितंबर) को मोदी का जन्मदिन है। एक सामान्य परिवार में जन्मे नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री हैं। उनका अब तक का सफर युवाओं में यह उम्मीद जगाता है कि सामान्य परिवार में पैदायश और कम संसाधनों में परवरिश कोई अभिशाप नहीं है। अगर इन्सान अपनी राह पर मज़बूती से चलता जाए तो एक दिन वह जरूर कामयाब होता है। चूंकि पीएम मोदी ‘मन की बात कार्यक्रम’ में युवाओं से अपने अनुभव साझा करते हैं। आज हम युवाओं के लिए लाए हैं मोदी की जिंदगी से जुड़ी वे 5 बातें जिनकी बदौलत वे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बन गए।

अच्छी किताबों से दोस्ती
गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक मोदी के भाषणों में आपने स्वामी विवेकानंद की प्रशंसा जरूर सुनी होगी। मोदी ने विवेकानंद साहित्य का गहराई से अध्ययन किया है। अच्छी किताबों का संग उन्हें निरंतर प्रेरणा देता है।

योग से ​निरोग
प्रधानमंत्री योग के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर वे इस आयोजन में प्रमुखता से शामिल होते हैं। योग उनकी दिनचर्या का हिस्सा है, जिससे वे हमेशा स्वस्थ और ऊर्जा से भरे रहते हैं।

शांत लेकिन सतत
मोदी खुद पर लगने वाले राजनीतिक आरोपों का जवाब बहुत सहजता और शांति से देते रहे हैं। शायद ही उन्हें किसी ने आपा खोते देखा हो, लेकिन वे अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सतत प्रयास जारी रखते हैं। यही खूबी उन्हें दूसरे राजनेताओं से अलग बनाती है।

समय के पाबंद
प्रधानमंत्री मोदी समय के बहुत पाबंद माने जाते हैं। उनके करीबी बताते हैं कि देर से आने वाले लोग उनकी टीम में नहीं टिक सकते। वहीं, मोदी देर शाम और रात को भी अपने मंत्रियों से मीटिंग करते रहते हैं।

छोड़ा छुट्टी का मोह
मोदी के बारे में आरटीआई से खुलासा हुआ था कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने एक दिन भी छुट्टी नहीं ली। वे हमेशा देश की बे​हतरी के लिए काम करते रहते हैं। उनकी इस खूबी से युवाओं को अपने लक्ष्य के प्रति गंभीरता का भाव सीखना चाहिए, जहां छुट्टी के प्रति कोई मोह न हो।

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