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इस बार बाड़मेर में किस करवट बैठेगा सियासत का ऊंट?

इस बार बाड़मेर में किस करवट बैठेगा सियासत का ऊंट?

bjp and congress

बाड़मेर/दक्षिण भारत। विधानसभा चुनाव के तीन महीने पहले बाड़मेर राजनीति का बड़ा अखाड़ा बन गया है। सीएम वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा के प्रवेश के अलावा कांग्रेस पांच सितम्बर को विजय संकल्प रैली के जरिए वहां दस्तक देगी। पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे शिव विधायक की स्वाभिमान रैली के आयोजन के ऐलान के बाद तो बाड़मेर सियासत का रणक्षेत्र बनकर उभर रहा है। पश्चिमी राजस्थान के रेतीले धोरों की धरती पर सियासी तूफान की आहट साफ सुनाई पड़ रही है। वहां राजनीति का मिजाज गर्म है और नेताओं के तेवर तीखे।

मौके की तलाश में कई नेता ठिकाना बदलने की जुगत में है। बाड़मेर में सीएम राजे का रथ पहुंच चुका है लेकिन इस पूरे सितम्बर महीने में आगामी दिसंबर महीने की तस्वीर साफ होती दिख रही है। 22 सितम्बर की मानवेन्द्र सिंह की स्वाभिमान रैली में साफ हो जाएगा कि बाड़मेर की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठने वाला है।

मानवेंद्र के समर्थन में बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर, सिरोही, पाली और जोधपुर के राजपूत सरदारों के साथ जसवंत सिंह और मानवेंद्र सिंह का बरसों से साथ निभा रही जातियों के नेता एक जाजम पर जमा होने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि मानवेंद्र इस दिन कांग्रेस में जाने का ऐलान कर सकते हैं। अपने पिता का पिछले लोकसभा चुनाव में टिकट काटे जाने के बाद से ही मानवेंद्र भाजपा से खफा हैं।

उसके बाद मारवाड़ में हुई घटनाओं ने इस राजपूत नेता को भाजपा से दूर हो जाने के लिए मजबूर कर दिया है। इसलिए स्वाभिमान रैली के जरिये मानवेंद्र नई राजनीतिक पारी का आगाज कर खुद के साथ हुई नाइंसाफी का बदला लेने की तैयारी में जुटे हैं। मानवेंद्र की नाराजगी से होने वाले नुकसान से ध्यान हटाकर भाजपा खुद को मजबूत बनाने में जुटी है।

सीएम राजे की यात्रा में भारी भीड़ जुटाने की तैयारियां चल रही हैं। पिछली बार बाड़मेर की सात में से छह विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती थीं। उसके विधायक ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाकर अपनी टिकट फिर पक्की करने की तैयारी कर रहे हैं। बाड़मेर में पार्टी कांटे से कांटा निकालने की कोशिश कर रही है। कई कद्दावर राजपूत नेताओं को साथ लाकर उनके साथ वसुंधरा सरकार के मंत्री जुटे ऐतिहासिक जनसभा की तैयारी में जुटे हैं।

हालांकि सांसद कर्नल सोनाराम की सियासी जुबां पार्टी के लिए कहीं ताकत तो कहीं बड़ी कमजोरी बनकर उभर रही है। कांग्रेस 5 सितंबर को संकल्प रैली के जरिए रेतीले धोरों के बीच अपनी मजबूत उपस्थिति का अहसास करायेगी। कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं को भरोसा है कि ताजा राजनीतिक हालात में कांग्रेस बाड़मेर में मजबूत हुई है। आम जनता कांग्रेस को गले लगाने को तैयार है। इसलिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जोश और उत्साह देखते ही बन रहा है।

कुल मिलाकर इस बार के विधानसभा चुनाव से पहले ही बाड़मेर राजनीति का चर्चित युद्ध क्षेत्र बनकर उभरा है। यहां धर्म के साथ जाति चुनाव में एक बार फिर बड़ा मुद्दा होगा। क्षेत्रीय अस्मिता के साथ नेताओं से जनता के रिश्ते भी कसौटी पर होंगे। एक दल से दूसरे दल में नेताओं की आवाजाही से रेगिस्तान में जबरदस्त सियासी घमासान की संभावनाएं हैं।

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